Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सदश चंद्र प्राप्ति सूत्र-पष्ट उपाङ्ग NRN
णक्खत्ताणं जेणं णक्खत्ता सया चंदस्त दाहिणेणं जोगं जोएति तेणं छ णक्खत्ता तंजहा. मगमिर, अद्दा, परलो, असेमा, हत्थो, मलो ।। तत्थणं जेते णक्खत्ता जेणं सया चंदस्त उत्तरेणं जोग जोएति, तेग बरस तंजहा• अभिए, सवणे. धणिट्रा
२१९ सयभिसया, पुनमहाया, उत्तरपट्टि ग्या, रेवति अस्मिणी, भरणी पुयाफग्गुणि, उत्तराफग्गुणी, साति ॥ तथा जत खत्ता जगं चंदस्त दाहिणणंवि उत्तरेणंवि
पमहवि जोग जाएति तणं सत्त तंजहा- कन्तिया, रोहिणी, पुणवसु. महा, चित्ता, इस से १३ योजल ६१ य ४७ भाग रहे, यह ५१८.४८ में से घना करना जिससे ४९७ योजन व १६१ या एक भाग रहा. इस को एक २ आंरे में पृथक् गिनने के लिये १४ का भाग देना इस से ३५ योजन ३० भाग ६१ ये और चार भाग साताये हुरे. अर्थात् एकेक मंडल पर ३५.३०-४ थोजन काई
आंतरा है. इसमें चंद्रमा के विमान ३१ये ५६ भाग मालाने से ३६.२५-४ योमन का एक २ मंडल है पर विकंप है. चंद्र का सर्व विकंप जानने की विधि. इस में तीन राशि की स्थापना करना. ३६ को ६१ गुरेका करके १५ मीलाना. फोर उस राशि को सात गुग कर के चार मीलाना. १६४०१२+२१९६+२५२२ १२१+७%D१५५४७+४-१५५५.. अब योजन करने को ६१ को सात गुणना. ६४x७८४२७० इम तरह ४२७.१५५५१+४, अब इस में दूसरी राशि को तीसरी राधि से गुणा करने के पहिली राशि
दशा पाहुडे का इग्यारवा
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