Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अर्थ
14मस चंद्र प्रज्ञप्ति सूत्र-षष्ठ उपाङ्ग 42
ता कहते सन्निवाते आहितेति वदेजा ता जयाणं साक्ट्री पोणिमा भवति, तयाणं माहि अमावामा भवति, जाणं माहि पग्गिना भवति. तयाण सावली अमावासा भवति.जयाणं पोटुवतीणगेणिमा भवति,तयाणं फगुणी अमाव तः भवति जयाणं फरगुणी पुण्णिमा भवति तयाण पोटुवति अमावासा भवति॥जयाणं असोइ पण्णिमा भवति तयाणं
चेति अमावासा भवति, जयाणं वेत। पुगिमा भवति, तयाण असोइ अमावासा भवति, है अब दशवे पाहढे का मानवा अंतर पाहडा कहत हैं. अहो भगवन् ! आपके पत में सत्रिपात कैसे कहा ? अर्थत् पूर्णमा अमावास्या नक्षत्र योग आश्री कैसे कही? अहो शिष्य ! व्यवहार नय मे जो तीन नक्षत्र श्रावण मास की पूर्णिमा को होते हैं, वे हीदीन नक्षत्रों पाव पाम की अमावास्या को होते हैं, जो दो नक्षत्रों माघ मास की पूर्णिमा को होते हैं वे ही नक्षत्रों श्रावण मास पूर्णिमा को होते हैं, जो तीन में से कोई भी नक्षत्र भाद्रपद मास की पूर्णिमा को होने हैं वे ही तीन नक्षत्रों में से कोई भी फल्गन मास की अमावास्या को होते हैं. और फालान पास की पूर्णिमा को जो दो नक्षत्रों में से कोई भी होते हैं। वे ही भाद्रपद मास की अमावास्या को होत हैं अश्विन मास की पूर्णिमा को जो नक्षत्र होते हैं वे चैत्र मास की अमावास्या को आते हैं और जो चैत्र मास की पूर्णिमा को होते हैं वे ही अश्विन मास की अमावास्या को होते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को जो नक्षत्र होते हैं वे ही पैशाख मास की अमावास्या को
4242 दशवा पाहुड का सातवा अंतर पाहूडा 420
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