Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सच
अर्थ
+ सप्तदश- चंद्रमसि सूत्रपट ज्यान
पच्छाकडे समयास वासाणं पढमे समए पडिपुण्णे भवति। नहा समए एवं आवलिया आणपाणु, थांबे, लवे, मुहुत्ते, अहोरते, पक्खे, मासे, ऊऊ एए दस आलावगा बालाणं माणि ॥ ५ ॥ ता जयागं जम्बूही वे दाहिण हेमपाणं पढमे समए पडियजति तयाणं उत्तरत्रि हमताणं पढमे समए पडिवज्जति, तयाणं जम्बूदीचे मंदरस्त पव्यरस परस्थिमेणं पचस्थिमेणं अनंतरं पुराकडे काल समयंसि हेमंताणं पढमे समए परिवजति, एतस्स दस आलावगा जाब ऊऊ भाणियध्वा ॥ ६ ॥
सा
{ में योव का प्रथम समय होवे तत्पश्चात् तूमरे समय पूर्व पश्चिम में योग का प्रथम ममय, उत्तर दक्षिण में
लव का प्रथम समय पश्चात दूरे समय पूर्व पश्चिम में लव का प्रथम ममय प्रथम समय तत्पश्चात दूरे समय पूर्व पश्चिम में मुहूर्त का प्रथम समय उत्तर { प्रथम समय तत्पश्च तू दूसरे समय पूर्व पश्चिम में अहोरात्र का प्रथम समय प्रथम समय होत्रे तत्पश्चात् दूसरे समय पूर्व पश्चिम में पक्ष का प्रथम समय, ( प्रथम समय होत्रे तत्पश्चात् दूसरे समय पूर्व पश्चिम में मान का प्रथम समय प्रथम समय तत्पश्च त् दूसरे समय पूर्व पश्चिम में ऋतु का प्रथम समय यो दश आलाक कहना ॥ ५ ॥ ऐसे ही जम्बूद्वीप के दक्षिणार्ध में हेमंत के दस आलापक कहना ॥ ६ ॥ लव
उत्तर दक्षिण में मुहूर्त का दक्षिण में अहोरात्र का उत्तर दक्षिण में पक्ष का उत्तर दक्षिण में मास का उत्तर दक्षिण में ऋतु का
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44*49+ आठवा पाहुडा
१३५
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