Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सत्र
મથ
48* समय चंद्रमा प
पुक्खरद्धेत्रि सूरिया उत्तरपाईण मुत्रगच्छति, पाईण दाहिणं आगच्छति ॥ एवं जंबूदीवं वत्तत्रया भाणियन्त्रा जाव उसप्पिणिवि ॥ इति वदन्न्नतीए अटुमं पाहुडं सम्मतं ॥ ८ ॥ *#e
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ड सर्पिणी काल लक्षण
की खंड की वक्तव्यना जानता
नहीं है यत्र कहना. जैसे लवण समुद्र की वक्तव्यता कही कैसे ही घात परंतु यहां क्षेत्र की विशालता होने से बारह चंद्र व बारह सूर्य हैं. जिनमें छ सूर्य दक्षिण में व छ उत्तर में प्रकाश करते हैं. उक्त वारा ही सूर्य जम्बूद्वीप व लवण समुद्र गत सूर्यो का श्रेणीमा हुने हैं. इनकी उ अन की विनिरूर जंबूद्वीप जैमी जानना जब घातकी खंड क दक्षिणार्ध में दिन होता है तब उत्तरार्ध में भी दिन होता है. जब धान की खंड के उभर दक्षिण विभाग में दिन होता है तब मेरु से पूर्व पश्चिम विभाग में रात्रि होती ऐसे ही उत्पणी अवसर्पिणी का आलापक कहना. कालोदधि समुद्र की वक्तव्याला समुद्र जैसी कहना, परंतु यहां क्षेत्र की विशालता से ४२ चंद्रा ४२ सूर्य कह हैं. जिन में २१ दक्षिण में और २१ उत्तर विभाग में हैं. दिन रात्रि का क्षेत्र सवैसे ही जानना. अब आभ्यंतर पुष्करार्व द्वीप के सूर्य चंद्र की वक्तव्यता जम्बूद्वीप {जैसी है। कहना परंतु यहांपर ७२ चंद्रमा व ७२ मूर्य, दिन, रात्रि, अपणी उत्सर्पिनी आदि सब वक्त व्यता जम्बूदीप जैसी कहना. यों अढाईद्वीप में १३२ चंद्र १३२ सूर्य निरंतर परिभ्रमण करते हैं. इति चंद्र इसका आठवा पाहुडा संपूर्ण हुता ॥ ८ ॥
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***+आठवा पाहुदा 498+
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