Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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49 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषि
दाहिण मुरगच्छंति दाहिणंपडीमागच्छंति. दाहिणपडीण उवगन्छति. पडीणंउदीण
मागच्छति, पाडीणउदीण मुरगच्छंति, उदीण पाईण मागच्छंति, ॥ २ ॥ ता जयाणं । F} जंबूढ़ीवेदीवे दाहिण दिवसे भवति, तयाणं उत्तर दिवले भवति, जयाणं उत्तरद्रु
अपेक्षा पूर्व दक्षिण-अमे कौन से उदय हैं शिनाव:- ऋक में अस्त होते. पश्चिम पहा विदेह क्षत्र आश्री.ऋत्यकम में उदय पातच.तार में प्रस्तन एरवत क्षेत्र आश्री.
और वायव्यक। में उदय ने ईशाक में अन हात पर्ष मा.विदा क्षेत्र की अपेक्षा. यह सामान्य से सूर्योदय का कथन किया. आ विशषषा से कहते हैं. एक सूर्य दक्षिण दिशा में उदय पावे नव दूसरा सूर्य पश्चिमउसर दिश में उदय पाने. दक्षिण का भातादि क्षेत्र मरु के दक्षिणदिशा के प्रधान मंडल पर प्रकाश करे और दूसरा पश्चि। उत्तर का मूर्य अंक से उत्तर दिशा में एरवत क्षेत्र में प्रकाश करे. अव भरत क्षेत्र का सूर्य दक्षिण पश्चिम में प्रस्त पाकर पश्चिम माविदह क्षेत्र में उदय पावे भीर एरवत क्षेत्र का सर उत्तरपूर्व महाविदह में उदय पाव. दक्षिणपूर्व में उदय पाया हा सूर्य आग मंडल में परिभ्र ण करे, अवरांवदेश में प्रकाश न.रे और उत्तरी उदय पाया हवा पूर्वविदह में प्रकाश करे. व पूर्व विदह का मूर्य दक्षिण भरत क्षेत्र में आकर प्रकाश करे, और अवरविदेह का है पश्चिम उत्तर में आकर पवन क्षेत्र में प्रकाश करे. यह जम्बूद्वीप में मूर्योदय होने की विधि कहो ॥२॥ अब क्षेत्र विभाग से दिन का विभाग कहते हैं. इस जम्बुद्वीप में जब दक्षिणार्ध में दिन होता है
• प्रकाशक-राजाबहादूर लाला सुखदेव महायजी मालाप्रथादजी .
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