Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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हार्दिक अनुग्रह एव सात्त्विक स्नेह प्राप्त है। पिछले तीस वर्षों से भारतीय विद्या (Indology) और विशेषतः प्राकृत तथा जैन विधा (Jainology) के क्षेत्र में अध्ययन, अनुसन्धान, लेखन, अध्यापन आदि के सन्दर्भ में कार्यरत रहा हूँ। यह मेरी आन्तरिक अभिरूचि का विषय है, व्यवसाय नहीं। अत: मुझे प्रसन्नता का अनुभव हुआ। मेड़ता निवासी मेरे अनन्य मित्र युवा साधक एवं साहित्यसेवी श्रीमान् जतनराजजी मेहता, जो आगम प्रकाशन समिति के महामन्त्री मनोनीत हुए, ने भी मुझे विशेष रूप से प्रेरित किया। श्रुत की सेवा का सुन्दर अवसर जान, मैंने उधर उत्साह दिखाया। सातवें अंग उपासकदशा का कार्य मेरे जिम्मे आया। मैंने उपासकदशा का कार्य हाथ में लिया। सम्पादन, अनुवाद, विवेचन
पहला कार्य पाठ-सम्पादन का था। मैंने उपासकदशा के निम्नाङ्कित संस्करण हस्तगत किये१. उपासकदशासूत्रम्-सम्पादक, डॉ० एम०ए० रूडोल्फ हार्नले। प्रकाशक-बंगाल एशियाटिक सोसायटी
कलकत्ता। प्रथम संस्करण : १८९० ई० २. श्रीमद् अभयदेवाचार्यविहितविवरणयुतं श्रीमद् उपासकदशांगम्। प्रकाशक-आगमोदय समिति, महेसाणा,
प्रथम संस्करण १९२० ई० ३. उपासकदशांगसूत्रम्-वृतिरचयिता-जैनशास्त्राचार्य पूज्य श्री घासीलालजी महाराज। प्रकाशक-श्री श्वेताम्बर
स्थानकवासी जैन संघ, कराची। प्रथम संस्करणः १९३६ ई० ४. श्री उपासकदशांगसूत्र-अनुवादक-जैनधर्मदिवाकर आचार्य श्री आत्मारामजी महाराज । प्रकाशक-आचार्य __ श्री आत्माराम जैन प्रकाशन समिति, लुधियाना। प्रथम संस्करण : १९६४ ई० । ५. उपासकदशांगसूत्रम-अनुवाद-वी० घीसूलाल पितलिया। प्रकाशक-अ० भा० साधुमार्गी जैन संस्कृति ___रक्षक संघ, सैलाना [मध्यप्रदेश] । प्रथम संस्करण : १९७७ ई०। ६. उवासगदसाओ-श्रीमद् अभयदेव सूरि विरचित मूल अने टीकाना अनुवाद सहित [लिपि-देवनागरी,
भाषा-गुजराती] अनुवादक अने प्रकाशक-पं० भगवानदास हर्षचन्द्र । प्रथम संस्करण : वि० सं० १९९२
ई०, जैनानन्द पुस्तकालय, गोपीपुरा, सूरत। ७. अंगसुत्ताणि-३.सम्पादक-मुनि नथमलजी। प्रकाशक-जैन विश्व भारती, लाडनूं। प्रथम संस्करण : सं०
२०३१ ई०। उपासकदशांग-अनुवादक, सम्पादक-डॉ० जीवराज घेलाभाई दोशी, अहमदाबाद [देवनागरी लिपि,
गुजराती भाषा] । ९. उपासकदशासूत्र-सम्पादक, अनुवादक-बाल-ब्रह्मचारी पं० श्री अमोलकऋषिजी महाराज। प्रकाशकहैदाराबाद-सिकंन्दराबाद जैन संघ, हैदराबाद [दक्षिण] । वीराब्द २४४२-२४४६ ई० ।
इन सब प्रतियों का मिलान कर, भिन्न-भिन्न प्रतियों की उपयोगी पूरकता का उपयोग कर त्रुटिरहित एवं प्रमाणिक पाठ ग्रहण करने का प्रयास किया गया है। संख्याक्रम, पैरेग्राफ, विरामचिह्न आदि के रूप में
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