Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 253
________________ २१२] [उपासकदशांगसूत्र चुल्लशतक ६०हजार कुडंकौलिक ६० हजार सकडालपुत्र १० हजार महाशतक ८० हजार नन्दिनीपिता ४० हजार सालिहीपिता ४० हजार श्रमणोपासकों की सम्पत्ति निम्नांकित स्वर्ण-मुद्राओं में थी-- श्रमणोपासक स्वर्ण-मुद्राएं आनन्द १२ करोड़ कामदेव १८ करोड़ चुलनीपिता २४ करोड़ सुरादेव १८ करोड़ चुल्लशतक १८ करोड़ कुंडकौलिक १८ करोड़ सकडालपुत्र ३ करोड़ महाशतक कांस्य-परिमित २४ करोड़ नन्दिनीपिता १२ करोड़ सालिहीपिता १२ करोड़ आनन्द आदि श्रमणोपासकों ने निम्नांकित २१ बातों में मर्यादा की थी-- १. शरीर पोंछने का तौलिया, २. दतौन, ३. केश एवं देह-शुद्धि के लिए फल-प्रयोग, ४. मालिश के तैल, ५. उबटन, ६. स्नान के लिए पानी, ७. पहनने के वस्त्र, ८. विलेपन, ९. पुष्प, १०. आभूषण, ११. धूप, १२. पेय, १३. भक्ष्य-मिठाई, १४. ओदन-चावल, १५. सूप-दालें, १६. घृत, १७. शाक, १८. माधुरक-मधु पेय, १९. व्यंजन-दहीबड़े, पकोड़े आदि, २०. पीने का पानी, २१. मुखवास-पान तथा उसमें डाले जाने वाले सुगन्धित मसाले। इन दस श्रमणोपासकों में आनन्द तथा महाशतक को अवधि-ज्ञान प्राप्त हुआ, जिसकी मर्यादा या विस्तार निम्नांकित रूप में थाआनन्द--पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में लवण समुद्र में पांच-पांच सौ योजन तक, उत्तर दिशा में चुल्लहिमवान् वर्षधर पर्वत तक, ऊर्ध्व-दिशा में सौधर्म देवलोक तक, अधोदिशा में प्रथम नारक भूमि रत्नप्रभा में लोलुपाच्युत नामक स्थान तक। महाशतक--पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में लवण-समुद्र में एक-एक हजार योजन तक, उत्तर दिशा चुल्लहिमवान् वर्षधर पर्वत तक, ऊर्ध्व-दिशा में सौधर्म देवलोक तक, अधोदिशा में प्रथम नारक

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