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[उपासकदशांगसूत्र
चुल्लशतक
६०हजार कुडंकौलिक
६० हजार सकडालपुत्र
१० हजार महाशतक
८० हजार नन्दिनीपिता
४० हजार सालिहीपिता
४० हजार श्रमणोपासकों की सम्पत्ति निम्नांकित स्वर्ण-मुद्राओं में थी-- श्रमणोपासक
स्वर्ण-मुद्राएं आनन्द
१२ करोड़ कामदेव
१८ करोड़ चुलनीपिता
२४ करोड़ सुरादेव
१८ करोड़ चुल्लशतक
१८ करोड़ कुंडकौलिक
१८ करोड़ सकडालपुत्र
३ करोड़ महाशतक
कांस्य-परिमित २४ करोड़ नन्दिनीपिता
१२ करोड़ सालिहीपिता
१२ करोड़ आनन्द आदि श्रमणोपासकों ने निम्नांकित २१ बातों में मर्यादा की थी--
१. शरीर पोंछने का तौलिया, २. दतौन, ३. केश एवं देह-शुद्धि के लिए फल-प्रयोग, ४. मालिश के तैल, ५. उबटन, ६. स्नान के लिए पानी, ७. पहनने के वस्त्र, ८. विलेपन, ९. पुष्प, १०. आभूषण, ११. धूप, १२. पेय, १३. भक्ष्य-मिठाई, १४. ओदन-चावल, १५. सूप-दालें, १६. घृत, १७. शाक, १८. माधुरक-मधु पेय, १९. व्यंजन-दहीबड़े, पकोड़े आदि, २०. पीने का पानी, २१. मुखवास-पान तथा उसमें डाले जाने वाले सुगन्धित मसाले।
इन दस श्रमणोपासकों में आनन्द तथा महाशतक को अवधि-ज्ञान प्राप्त हुआ, जिसकी मर्यादा या विस्तार निम्नांकित रूप में थाआनन्द--पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में लवण समुद्र में पांच-पांच सौ योजन तक, उत्तर दिशा में
चुल्लहिमवान् वर्षधर पर्वत तक, ऊर्ध्व-दिशा में सौधर्म देवलोक तक, अधोदिशा में प्रथम नारक
भूमि रत्नप्रभा में लोलुपाच्युत नामक स्थान तक। महाशतक--पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में लवण-समुद्र में एक-एक हजार योजन तक, उत्तर दिशा
चुल्लहिमवान् वर्षधर पर्वत तक, ऊर्ध्व-दिशा में सौधर्म देवलोक तक, अधोदिशा में प्रथम नारक