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संग्रह-गाथाओं का विवरण]
__ [२११ चुलनीपिता
देव द्वारा मातृवध की धमकी से व्रत-भंग,
प्रायश्चित। सुरादेव
देव द्वारा सोलह भयंकर रोग उत्पन्न कर देने
की धमकी से व्रत-भंग, प्रायश्चित्त। चुल्लशतक
देव द्वारा स्वर्ण-मुद्राएं आदि सम्पत्ति बिखेर देने
की धमकी से व्रत-भंग, प्रायश्चित्त । कुंडकौलिक
देव द्वारा उत्तरीय एवं अंगूठी उठा कर गोशालक मत की प्रशंसा, कुंडकौलिक की दृढ़ता,
नियतिवाद का खडन, देव का निरूत्तर होना। सकडालपुत्र
व्रतशील पत्नी अग्निमित्रा द्वारा भग्न-व्रत पति को
पुनः धर्मस्थित करना। महाशतक
व्रत-हीन रेवती का उपसर्ग.कामोहीपक
व्यवहार, महाशतक की अविचलता। नन्दिनीपिता
व्रताराधना में कोई उपसर्ग नहीं हुआ। सालिहीपिता
व्रताराधना में कोई उपसर्ग नहीं हुआ। श्रमणोपासक देह त्याग कर निम्नांकित विमानों में उत्पन्न हुए-- श्रमणोपासक
विमान आनन्द
अरूण कामदेव
अरूणाभ चुलनीपिता
अरूणप्रभ
अरूणाकान्त चुल्लशतक
अरूणश्रेष्ठ कुंडकौलिक
अरूणध्वज सकडालपुत्र
अरूणभूत महाशतक
अरूणावतंस नन्दिनीपिता
अरूणगव सालिहीपिता
अरूणकील श्रमणोपासकों के गोधन की संख्या निम्नांकित रूप में थी-- श्रमणोपासक
गायों की संख्या आनन्द
४० हजार कामदेव
६० हजार चुलनीपिता
८० हजार सुरादेव
६० हजार
सुरादेव