Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्रथम अध्ययन : गाथापति आनन्द]
[१३
मेढि उस काप्ठ-दंड को कहा जाता है, जिसे खलिहान के बीचोंबीच गाड़ कर, जिससे बांधकर बैलों को अनाज निकालने के लिए चारों ओर घुमाया जाता है। उसके सहारे बैल गतिशील रहते हैं। परिवार में यही स्थिति आनन्द की थी।
शिवनन्दा
६. तस्स णं आणंदस्स गाहावइस्स सिवानंदा नामं भारिया होत्था, अहीण-जाव (पडिपुण्ण-पंचिंदिय-सरीरा, लक्खण-वंजण-गुणोववेया, माणुम्माणप्पमाण-पडिपुण्णसुजाय-सव्वंग-सुंदरंगी, ससि-सोमाकार-कंत-पिय-दसणा) सुरूवा।आणंदस्स गाहावइस्स इट्ठा, आणंदेणं गाहावइणा सद्धिं अणुरत्ता, अविरत्ता, इढे जाव (सद्द-फरिस-रस-रूवगंधे) पंचविहे माणुस्सए काम-भोए पच्चणुभवमाणी विहरइ।
___ आनन्द गाथापति की शिवनन्दा नामक पत्नी थी, [उसके शरीर की पांचों इन्द्रियां अहीनप्रतिपूर्ण--रचना की दृष्टि से अखंडित, सम्पूर्ण, अपने-अपने विषयों में सक्षम थीं, वह उत्तम लक्षणसौभाग्यसूचक हाथ की रेखाएं आदि, व्यंजन--उत्कर्षसूचक तिल, मसा आदि चिह्न तथा गुण-शील, सदाचार, पातिव्रत्य आदि से युक्त थी। दैहिक फैलाव, वजन, ऊंचाई, आदि की दृष्टि से वह परिपूर्ण, श्रेष्ठ तथा सर्वांगसुन्दरी थी। उसका आकार--स्वरूप चन्द्र के समान सौम्य तथा दर्शन कमनीय था] । ऐसी वह रूपवती थी। आनन्द गाथापति की वह इष्ट-प्रिय थी। वह आनन्द गाथापति के प्रति अनुरक्तअनुरागयुक्त-अत्यन्त स्नेहशील थी। पति के प्रतिकूल होने पर भी वह कभी विरक्त--अनुरागशून्य-- रूष्ट नहीं होती थी। वह अपने पति के साथ इष्ट--प्रिय [शब्द, स्पर्श, रस, रूप तथा गन्धमूलक] पांच प्रकार के सांसारिक काम-भोग भोगती हुई रहती थी। विवेचन
प्रस्तुत प्रसंग में नारी के उस प्रशस्त स्वरूप का संक्षेप में बड़ा सुन्दर चित्रण हैं, जिसमें सौन्दर्य और शील दोनों का समावेश है। इसी में नारी की परिपूर्णता है।
___ यहां प्रयुक्त 'अविरक्त' विशेषण पति के प्रति पत्नी के समर्पण-भाव तथा नारी के उदात्त व्यक्तित्व का सूचक है। कोल्लाक सन्निवेश--
७. तस्स णं वाणियगामस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसी-भाए एत्थ णं कोल्लाए नामं सन्निवेसे होत्था। रिद्ध-स्थिमिय जाव (समिद्धे, पमुइय-जण-जाणवये, आइण्ण-जणमणुस्से, हल-सय-सहस्स-संकिट्ठ-विकिट्ठ-लट्ठ-पण्णत्त-सेउसीमे, कुक्कुड-संडेय-गामपउरे, उच्छु-जव-सालि-कलिये,गो-महिस-गवेलग-प्पभूये, आयारवन्त-चेइय-जुवइ