Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[उपासकदशांगसूत्र (१) अशन, पान आदि खाद्य-पेय-पदार्थों का त्याग, (२) शरीर की सज्जा, वेशभूषा, स्नान आदि का त्याग, (३) अब्रह्मचर्य का त्याग, (४) समग्र सावद्य-सपाप कार्य-कलाप का त्याग।
वैसे पोषधोपवास चाहे जब किया जा सकता है, पर जैन परंपरा में द्वितीया, पंचमी, अष्टमी, एकादशी एवं चतुर्दशी विशिष्ट पर्व-तिथियों के रूप में स्वीकृत हैं। उनमें भी अष्टमी, चतुर्दशी और पाक्षिक विशिष्ट माना जाता है। पोषधोपवास के अतिचारों का स्पष्टीकरण निम्नांकित है
__ अप्रतिलेखित-दुष्प्रतिलेखित-शय्यासंस्तार-शय्या का अर्थ पोषध करने का स्थान तथा संस्तार का अर्थ दरी, चटाई आदि सामान्य बिछौना है, जिस पर सोया जा सके। अनदेखे-भाले व लापरवाही से देखे-भाले स्थान व बिछौने का उपयोग करना।
अप्रमार्जित-दुष्प्रमार्जित-शय्या-संस्तार-प्रमार्जित न किये हुए-बिना पूंजे अथवा लापरवाही से पूंजे स्थान एवं बिछौने का उपयोग करना।
अप्रतिलेखित-दुष्प्रतिलेखित-उच्चार-प्रस्त्रवणभूमि-अनदेखे-भाले तथा लापरवाही से देखेभाले शौच व लघुशंका के स्थानों का उपयोग करना।
पोषधोपवास-सम्यक्-अननुपालन-पोषधोपवास का भली-भाँति--यथाविधि पालन न करना।
इन अतिचारों से उपासक को बचना चाहिए। यथासंविभाग-व्रत केअतिचार
५६. तयाणंतरं च णं अहासंविभागस्स समणोवासएणं पंच अइयारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा-सचित्त-निक्खेवणया, सचित्तपेहणया, कालाइक्कमे, परववएसे, मच्छरिया।
तत्पश्चात् श्रमणोपासक को यथासंविभाग-व्रत के पांच अतिचारों को जानना चाहिए, उनका आचरण नहीं करना चाहिए। वे इस प्रकार हैं--
सचित्तनिक्षेपणता, सचित्तपिधान, कालातिक्रम, परव्यपदेश तथा मत्सरिता। विवेचन
यथा-संविभाग का अर्थ है, उचित रूप से अन्न, पान, वस्त्र आदि का विभाजन--मुनि अथवा चारित्र-सम्पन्न योग्य पात्र को इन स्वाधिकृत वस्तुओं में से एक भाग देना। इस व्रत का नाम अतिथिसंविभाग भी है, जिसका अर्थ है--जिसके आने की कोई निश्चित तिथि या दिन नहीं, ऐसे साधु या संयमी अतिथि को अपनी वस्तुओं में से देना।
गृहस्थ का यह बहुत ही उत्तम व आवश्यक कर्तव्य है। इससे उदारता की वृत्ति विकसित होती है, आत्म-गुण उजागर होते हैं।
इस व्रत के जो पांच अतिचार माने गए हैं, उनके पीछे यही भावना है कि उपासक की देने की