Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

Previous | Next

Page 248
________________ दसवां अध्ययन : सालिहीपिता] [२०७ ॥ सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं दसमं अज्झयणं समत्त ॥ भगवान् महावीर श्रावस्ती में पधारे । समवसरण हुआ। आनन्द की तरह सालिहीपिता ने श्रावक-धर्म स्वीकार किया। कामदेव की तरह उसने अपने ज्येष्ठ पुत्र को पारिवारिक एवं सामाजिक उत्तरदायित्व सौंपा। भगवान् महावीर के पास अंगीकृत धर्मशिक्षा के अनुरूप स्वयं पोषधशाला में उपासनानिरत रहने लगा इतना ही अन्तर रहा-उसे उपासना में कोई उपसर्ग नहीं हुआ, पूर्वोक्त रूप में उसने ग्यारह श्रावक-प्रतिमाओं की निर्विघ्न आराधना की। उसका जीवन-क्रम कामदेव की तरह समझना चाहिए। देह-त्याग कर वह सौधर्म-देवलोक में अरूणकील विमान में देवरूप में उत्पन्न हुआ। उसकी आयुस्थिति चार पल्योपम की है। महाविदेह क्षेत्र में वह सिद्ध-मुक्त होगा। "सातवें अंग उपासकदशा का दसवां अध्ययन समाप्त"

Loading...

Page Navigation
1 ... 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276