________________
तृतीय अध्ययन : चुलनीपिता]
[११७ बैठोगे। चुलनीपिता की निर्भीकता
१२८. तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ।
. उस देव द्वारा यों कहे जाने पर भी श्रमणोपासक चुलनीपिता निर्भय भाव से धर्म-ध्यान में स्थित रहा।
१२९. तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जावपासइ पासित्ता दोच्चंपि तच्चपि चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो! चुलणीपिया! समणोवासया! तं चेव भणइ, सो जाव' विहरइ।
जब उस देव ने श्रमणोपासक चुलनीपिता को निर्भय देखा, तो उसने उससे दूसरी बार और फिर तीसरी बार वैसा ही कहा। पर, चुलनीपिता पूर्ववत् निर्भीकता के साथ धर्म-ध्यान में स्थित रहा। बड़े पुत्र की हत्या
. १३०. तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता आसुरत्ते ४ चुलणीपियस्स समणोवासयस्स जेटुं पुत्तं गिहाओ नीणेइ, नीणेत्ता अग्गओ घाएइ, घाएत्ता तओ मंससोल्लए करेइ, करेत्ता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अद्दहेइ, अहहेता चुलणीपियस्स समणोवासयस्स गायं मंसेण य सोणिएण य आयंचइ।
देव ने चुलनीपिता को इस प्रकार निर्भय देखा तो वह अत्यन्त क्रुद्ध हुआ। वह चुलनीपिता के बड़े पुत्र को उसके घर से उठा लाया और उसके सामने उसे मार डाला। मारकर उसके तीन मांस-खंड किए, उबलते पानी से भरी कढ़ाही में खौलाया। उसके मांस और रक्त से चुलनीपिता के शरीर को सींचा-छींटा।
१३१. तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तं उज्जलं जाव' अहियासेह
चुलनीपिता ने वह तीव्र वेदना तितिक्षापूर्वक सहन की। . मंझले व छोटे पुत्र की हत्या
१३२. तए णं से देवे चुलणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ, पासित्ता
१. देखें सूत्र-संख्या ९८। २. देखें सूत्र-संख्या ९७। ३. देखें सूत्र-संख्या ९७। ४. देखें सूत्र-संख्या ९७। ५. देखें सूत्र-संख्या १०६ । ६. देखें सूत्र-संख्या ९७।