Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
३२]
[उपासकदशांगसूत्र
पांच सौ गाड़ियां दिग्--यात्रिक--बाहर यात्रा में, व्यापार आदि में प्रयुक्त तथा पांच सौ गाड़ियां घर संबंधी माल-असबाव ढोने आदि में प्रयुक्त--के सिवाय मैं सब गाड़ियों के परिग्रह का परित्याग करता हूं।
२१. तयाणंतरं च णं वाहणविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ चउहिं वाहणेहिं दिसायत्तिएहिं, चउहिं वाहणेहिं संवाहणिएहि, अवसेसं सव्वं वाहणविहिं पच्चक्खामि।
फिर उसने वाहनविधि--जलयान रूप परिग्रह का परिमाण किया--
चार वाहन दिग्-यात्रिक तथा चार गृह-उपकरण के संदर्भ में प्रयुक्त--के सिवाय मैं सब प्रकार के वाहन रूप परिग्रह का परित्याग करता हूं। उपभोग-परिभोग-परिमाण
२२. तयाणंतरं चणं उवभोगपरिभोगविहिं पच्चक्खाएमाणे, उल्लणियाविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ एगाए गंध-कासाईए, अवसेसं सव्वं उल्लणियाविहिं पच्चक्खामि।
फिर उसने उपभोग-परिभोग-विधि का प्रत्याख्यान करते हुए भीगे हुए शरीर को पोंछने में प्रयुक्त होने वाले अंगोछे--तौलिए आदि का परिमाण किया--
मैं सुगन्धित और लाल-एक प्रकार के अंगोछे के अतिरिक्त बाकी सभी अंगोछे रूप परिग्रह का परित्याग करता हूं।
२३. तयाणंतरं च णं दंतवणविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ एगेणं अल्ल-लटठीमहुएणं, अवसेसं दंतवणविहिं पच्चक्खामि।
तत्पश्चात् उसने दतौन के संबंध में परिमाण किया-- हरि मुलहठी के अतिरिक्त मैं सब प्रकार के दतौनों का परित्याग करता हूं।
२४. तयाणंतरं च णं फलविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ एगेणं खीरामलएणं, अवसेसं फलविहिं पच्चक्खामि।
तदनन्तर उसने फलविधि का परिमाण किया--
मैं क्षीर आमलक--दूधिया आंवले के सिवाय अवशेष फल-विधि का परित्याग करता हूं। विवेचन
यहाँ फल-विधि का प्रयोग खाने के फलों के सन्दर्भ में नहीं है, प्रत्युत नेत्र मस्तक आदि के शोधन-प्रक्षालन के काम में आने वाले शुद्धिकारक फलों से हैं। आंवले की इस कार्य में विशेष उपयोगिता है । क्षीर आमलक या दूधिया आंवले का तात्पर्य उस कच्चे मुलायम आँवले से है, जिसमें गुठली नहीं पड़ी हो और जो दूध की तरह मीठा हो।