Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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३६]
[उपासकदशांगसूत्र वत्थविहिं पच्चक्खामि।
तब उसने वस्त्रविधि का परिमाण किया-- सूती दो वस्त्रों के सिवाय मैं अन्य वस्त्रों का परित्याग करता हूँ।
२९. तयाणंतरं च णं विलेवणविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ अगरू-कुंकुमचंदणमादिएहिं अवसेसं विलेवणविहिं पच्चक्खामि।
तब उसने विलेपन-विधि का परिमाण किया-- अगर, कुंकुम तथा चन्दन के अतिरिक्त मैं सभी विलेपन-द्रव्यों का परित्याग करता हूं।
३०. तयाणरं च णं पुष्फविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ एगेणं सुद्ध-पउमेणं, मालइकुसुम-दामेणं वा अवसेसं पुष्फविहिं पच्चक्खामि।
इसके पश्चात् उसने पुष्प-विधि का परिमाण किया--
मैं श्वेत कमल तथा मालती के फूलों की माला के सिवाय सभी प्रकार के फूलों को धारण करने का परित्याग करता हूं।
३१. तयाणंतरं च णं आभरणविहिपरिमाणं करेइ।. नन्नत्थ मट्ठ-कण्णेजएहिं नाममुद्दाए य, अवसेसं आभरणविहिं पच्चक्खामि।
तब उसने आभरण-विधि का परिमाण किया--
मैं शुद्ध सोने के अचित्रित-सादे कुंडल और नामांकित मुद्रिका--अंगूठी के सिवाय सब प्रकार के गहनों का परित्याग करता हूं।
३२. तयाणंतरं च णं धूवणविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ अगरूतुरूक्कधूवमादिएहिं, अवसेसं धूवणविहिं पच्चक्खामि।
तदनन्तर उसने धूपनविधि का परिमाण कियाअगर, लोबान तथा धूप के सिवाय मैं सभी धूपनीय वस्तुओं का परित्याग करता हूं।
३३. तयाणंतरं च णं भोयणविहिपरिमाणं करेमाणे, पेजविहिपरिमाणं करे।। नन्नत्थ एगाए कट्ठपेज्जाए, अवसेसं पेज्ज-विहिं पच्चक्खामि।
___ तत्पश्चात् उसने भोजन-विधि के परिमाण के अन्तर्गत पेय-विधि का परिमाण किया--
_ मैं एक मात्र काष्ठ पेय-मूंग का रसा अथवा घी में तले हुए चावलों के बने एक विशेष पेय के अतिरिक्त अवशिष्ट सभी पेय पदार्थों का परित्याग करता हूं।
३४. तयाणंतरं च णं भक्खविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ एगेहिं घयपुण्णेहिं खण्डखज्जएहिं वा, अवसेसं भक्खविहिं पच्चक्खामि।