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अथ दिनचर्यायां प्रथमोल्लासः : 35 कर दाहिनी या बायीं दाढ़ पर घिसना चाहिए। दाँत घिसते समय स्वस्थ चित्त होकर घिसने में ही बराबर ध्यान रखना चाहिए। दाँत के आस-पास के मांस को पीड़ा न हो, उसे इसी तरह घिसते जाना चाहिए।
उत्तराभिमुखः प्राची मुखो वा निश्चलासनः। 64॥ दन्तान्मौनपरस्तेन घर्षयेद्वर्जयेत् पुनः। दुर्गन्धं शुषिरं शुष्कं स्वाद्वम्लं लवणं च तत्॥ 65॥
दातुन करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुँह रख कर निश्चल बैठना चाहिए और मौन रहना चाहिए। बतियाते हुए दातुन नहीं करें। ऐसा काष्ठ जिससे दुर्गन्ध आती हो, जो भीतर से खोखला हो, सूखा, मीठा, खट्टा या क्षारीय स्वाद वाला काष्ठ दातुन के लिए वर्त्य समझना चाहिए।" दन्तधावननिषेधः ।
व्यतीपाते रवेारे सङ्क्रान्तौग्रहणे न तु। दन्तकाष्ठं नवाष्टैकभूतपक्षान्तषबुषु॥ 66॥
कब दन्तधावन का निषेध है, इस सम्बन्ध में कहा है कि जिस दिन व्यतीपात हो, रविवार, संक्रान्ति, ग्रहण दिवस, नवमी, अष्टमी, प्रतिपदा, चतुर्दशी, पूर्णिमा, षष्ठी और अमावस्या- इन दिनों में दातुन नहीं करना चाहिए। दन्तकाष्ठाभावेमुखशुद्धिनिर्देशं -
अभावे दन्तकाष्ठस्य मुखशुद्धिविधिः पुनः। कार्यों द्वादशगण्डूषैर्जिह्वोल्लेखस्तु सर्वदा।। 67॥
यदि कभी दातुन के लिए काष्ठ न मिले या निषिद्ध दिवस हो तब विधि यह है कि उस दिन बारह कुल्ले कर मुँह को शुद्ध करना चाहिए। जिह्वा का मैल तो घिसकर सर्वदा उतारना ही चाहिए। * वराहमिहिर ने कहा है- उदङ्मुखः प्राङ्मुख एव वाब्दं कामं यथेष्टं हृदये निवेश्य । अद्यादनिन्दन्
च सुखोपविष्टः...। (बृहत्संहिता 85, 8) इसी प्रकार स्मृतियों में कहा है- न दक्षिणापराभिमुखः । अद्याच्चोदङ्मुखः प्राङ्मुखो वा ॥ (विष्णुस्मृति 61 एवं वृद्धहारीतस्मृति 4, 24) **स्कन्दपुराणकार का मत है- न पाटितं समश्रीयाद्दन्तकाष्ठं न सव्रणम्। च चोर्द्धशुष्कं वक्रं वा नैव च
त्वग्विवर्जितम् ॥ (स्कन्द. प्रभासखण्ड 17, 13) स्मृतियों का मत है- प्रतिपत्पर्वषष्ठीषु नवम्याञ्चैव सत्तमाः । दन्तानां काष्ठसंयोगाद्दहत्यासप्तमं कुलम्॥ (लघुहारीत स्मृति 4, 10) इसी प्रकार पुराणकारों का कहना है- अमावस्यां तथा षष्ठयां नवम्यां प्रतिपद्यपि । वर्जयेद्दन्तकाष्ठन्तु तथैवार्कस्य वासरे। (आचारकाण्ड 205, 51) ' लघुहारीतस्मृति में भी आया है-अभावे दन्तकाष्ठानां प्रतिषिद्धदिनेषु च । अपां द्वादशगण्डूषैर्मुखशुद्धिं समाचरेत्।। (4, 11; तुलनीय-वाधूलस्मृति 37, नरसिंहपुराण 58,51-52 एवं देवीभागवत 11,2,39)