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126 : विवेकविलास तथा बायाँ पासा जो दाहिने से ऊँचा हो तो वह कन्या को जन्म देती है और उपर्युक्त तीनों अवयव यदि बायें से दाहिनी ओर ऊँचे हों तो वह पुत्र को जन्म देती है अतएव) जिसका बायाँ स्तन बायीं गुह्याङ्ग का भाग और बायाँ पासा ऊँचा हो; जिसका खभा तंग; चौड़ा और मांस रहित हो; जिसका कंधा ऊँचा और टेढ़ा हो; जिसकी कुक्षी गहरी और मांस रहित हो (वह सदोषा है)। तथा चान्यदप्याह -
मेषवल्लघुकग्रीवा दीर्घग्रीवा बकोष्ट्रवत्। व्याघ्रास्या श्यामचिबुका हास्य कूपकपोलिका॥ 107॥ श्यामश्वेतस्थूलजिह्वातिहासा काकतालुका। जम्बूतरुफलच्छाय दशनावलिपीठिका॥ 108॥ आकेकराक्षी मार्जार नेत्रा पारापतेक्षणा। कृष्णाक्षी चञ्चलालोकातिमौना बहुभाषिणी॥ 109॥
जिसकी ग्रीवा मेंढ़े जैसी छोटी अथवा बगुले अथवा ऊँट जैसी लम्बी हो; जिसका मुँह बाघ जैसा हो; जिसकी ठोड़ी काली हो; हँसते हुए जिसके गाल में कूप जैसे गड्डे पड़ते हों; जिसकी जीभ काली; सफेद अथवा मोटी हो; जो बहुत हँसने वाली हो; जिसका तालू काक जैसा ऊँचा हो; मसूढे जामुनी वर्ण के हों; जिसकी दृष्टि बहुत कटाक्ष करती हों; जिसकी आँख बिलाव या पोरवे जैसी काली या चञ्चल हो; जो बहुत मौन रखे या बहुत बक-बक करे (वह सदोषा है)। अन्यदप्याह -
स्थूलाधरशिरोवका नासिका शूर्पकर्णिका। हीनाधरा प्रलम्बोष्ठी मिलद्भूयुग्मका तथा॥ 110॥ अतिसङ्कीर्णविषम दीर्घलोमशभालका। अङ्गलत्रितयादूनाधिकभालस्थलापि च॥ 111॥ भालेन खण्डरेखेण रेखाहीनेन निन्दिता। सूक्ष्मस्थूलस्फुटिताग्र कटयुल्लनिकचोच्चया॥ 112॥
जिस स्त्री के नीचे का ओठ, सिर, मुँह और नाक मोटे हों; जिसके कान शूर्प जैसे हों; जिसके ओठ छोटे या लम्बे हों; जिसकी दोनों भृकुटियाँ साथ मिली हुई हों; जिसका कपाल बहुत तंग, ऊँचा-नीचा लम्बा; रोमयुक्त तीन अङ्गल से न्यूनाधिक; खण्डित रेखा वाला अथवा बिल्कुल रेखा रहित हो; जिसके सिर के केश सूखे; जोड़े सिर से शाखा वाले और कमर से भी नीचे उतरे इतने लम्बे हों (वह सदोषा है)। अन्यदप्याह -