Book Title: Vivek Vilas
Author(s): Shreekrushna
Publisher: Aaryavart  Sanskruti Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 263
________________ अथ धर्मोत्पत्तिप्रकरणं नामाख्यं दशमोल्लास : : 261 (इस उल्लास के अन्त में युगप्रधान सूरिजी का कहना है ) शुद्ध परिणाम वाला जो व्यक्ति उपर्युक्त रीति के अनुसार धर्मकृत्य पर विचार कर उसका सम्पादन करता है, उसके कण्ठ को मुक्ति रूपी रमणी हठात् आलिङ्गन करती है अर्थात् ऐसा साधक मुक्त हो जाता है। इति श्रीजिनदत्तसूरिविरचिते विवेकविलासे धर्मोत्पत्तिप्रकरणं नाम दशमोल्लासः ॥ 10 ॥ इस प्रकार श्रीजिनदत्तसूरि विरचित 'विवेक विलास' में धर्मोत्पत्तिप्रकरण संज्ञक दसवाँ उल्लास पूर्ण हुआ ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292