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अथ जन्मचर्या नाम अष्टमोल्लास: : 233 हरितालप्रभैश्चक्री नेत्रैर्नीलैरहमदः। रक्तैनृपः सितैर्ज्ञानी मधुपिङ्गैमर्महाधनः ॥ 343॥
यदि हरताल जैसी आँखे हों तो व्यक्ति चक्रवर्ती होता है; नीलवर्ण हो तो अहङ्कारी; लाल हो तो राजा; सफेद हो तो ज्ञानी और मधु जैसे पिङ्गल वर्ण की हो तो महाधनी होता है।
सेनाध्यक्षो गजाक्षः स्याद्दी_क्षश्चिरजीवितः। विस्तीर्णाक्षो महाभोगी कामी पारावतेक्षणः ॥ 344॥
यदि गज जैसी आँखें हो तो सेनापति; लम्बी हों तो चिरायु; चौड़ी हों तो बहुत सुख भोगने वाला और कबूतर जैसे वर्ण की हो तो व्यक्ति कामी होता है।
नकुलाक्षा मयूराक्षा मध्यमाः पुरुषाः पुनः। काकाक्षा धूमराक्षाश्च मण्डूकाक्षाश्च तेऽधमाः॥ 345॥
नकुल जैसी; मयूर जैसी आँख वाले पुरुष मध्यम होते हैं। कौआ, मेंढक और धूम्र के वर्ण जैसी आँख वाले मनुष्य अधम होते हैं।
दुष्टो दारुणदृष्टिः स्यात्कुक्कुटाक्षः कलिप्रियः। दृष्टिरागो भुजङ्गाक्षो मार्जाराक्षस्तु पातकी॥346॥
क्रूर नेत्र वाला पुरुष दुष्ट; मुर्गे जैसी आँख वाला कलहकारी, सर्प जैसी आँख वाला नेत्ररोगी और बिलाव जैसी आँख वाला पापी होता है।
श्यामहक्सुभगः स्निग्धलोचनो भोगभाजनम्। स्थूलदृग्धीधनो दीन दृष्टिः स्यादधनो जनः ।। 347॥
काली आँख वाला मनुष्य भाग्यवान, स्निग्ध आँख वाला भोगी; स्थूल आँख वाला बुद्धिशाली और दीन आँख वाला निर्धन होता है।
निम्नयोः प्रचुरं प्रायः स्तोकमुन्नतयोः पुनः। वृत्तयोर्नेत्रयोरल्प तरमायुस्तनूभृताम्॥ 348॥
यदि गहरी आँख हो तो बहुत ही आयुष्य; उथली आँख हो तो अल्पायु और गोल आँख हो तो बहुत ही अल्पायुष्य होता है।
विवर्णैः पिङ्गलैन्तैिश्चञ्चलैरतिपूर्वकैः। अधमाः स्युः कृशैरूक्षैः सजलैर्निर्धना पुनः ॥ 349॥
जिसकी आँखें विवर्ण; पिङ्गल व घूमती हुई और बहुत चञ्चल हों वह अधम होता है और जिसकी कृशकाय, रूक्ष व सजल आंखें हैं, वह निर्धन होता है।
अचक्षुरेकचक्षुश्च तथाकेकरनेत्रकः। अथ काकरनेत्रः स्या देषां क्रूरः परः परः। 350॥