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208 : विवेकविलास
अग्निमय विष धारण करने वाला 'वासुकी' नामक क्षत्रिय जाति का नाग सोमवार को शरीर पर पौने चार घड़ी तक विषोदय धारण करता है। उसका शरीर सुन्दर होता है और उसके सिर पर नील कमल होता है।
भवत्यभ्युदयी भौभे तक्षको विश्वरक्षकः। आरक्तः पार्थिवविषो वैश्यः स्वस्तिकलाञ्छनः ॥ 198॥
जगत् रक्षक और पृथ्वीमय विष धारण करने वाला 'तक्षक' संज्ञक वैश्य जाति का नाग मङ्गलवार को पौने चार घड़ी तक शरीर पर विष का उदय धारण करता है। उसका शरीर लाल होता व उसके सिर पर स्वस्तिक का चिह्न होता है।
बुधे लब्धोदयः शूद्रः कर्कोटोऽञ्जनसन्निभः। स वारुणविषो रेखा त्रियाश्चितमूर्तिमान्॥ 199॥
जलमय विष धारण करने वाला 'कर्कोटक' नामक शूद्र जाति का नाग बुधवार को पौने चार घड़ी तक विष का उदय धारण करता है। उसके शरीर का वर्ण अञ्जन जैसा होता है और उस पर तीन रेखाएं होती हैं।
गुरुवारोदयी पद्मः स्वर्णवर्णसमद्युतिः।
शूद्रो माहेन्द्रगरलः पञ्चचन्द्राभबिन्दुकः ।। 200॥ __ महेन्द्रीय विष धारण करने वाला 'पद्म' नामक शूद्र जाति का नाग गुरुवार को पौने चार घड़ी तक विष का उदय धारण करता है। उसके शरीर का वर्ण स्वर्ण जैसा होता है और उस पर चन्द्रमा जैसे श्वेत पाँच बिन्दु होते हैं।
शुक्रवारोदितो वैश्यो महापद्मो घनच्छविः। लक्षिताङ्गस्त्रिशूलेन दधानो वारुणं विषम्॥ 201॥
जलमय विष का धारक 'महापद्म' नामक शूद्र जाति का नाग शुक्रवार को पौने चार घड़ी तक विष का उदय धारण करता है। उसके शरीर का वर्ण मेघ के समान और उसके मस्तक पर त्रिशूल का चिह्न होता है।
धत्ते शङ्गःशनौ शक्तिमदेतमरुणारुणः। क्षत्रियो गरमानेयं विभ्ररेखां सिता गले॥ 102॥
तेजोमय विष धारक 'शङ्ख' संज्ञक क्षत्रिय जाति की नाग शनिवार को पौने चार घड़ी तक विष का उदय धारण करता है। उसके शरीर का वरुण उदित होते सूर्य के समान और उसके गले में श्वेत रेखा होती है।
राहुः स्यात्कुलिकः श्वेतो वायवीयविषो द्विजः।। सर्ववारेषु यामार्ध सन्धिष्वस्योदयो मतः ॥ 203॥ वायुमय विषधारक राहु के समान 'कुलिक' नामक विप्र जाति का नाग सभी