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54 : विवेकविलास
ईशान
नौ कोष्ठकों में पूर्वादि अनुक्रम से ब, क, च, त, ए, ह, स, प और मध्य में य अक्षर लिखें। यथाम फ ष भ म | अई उ ऋ ल ... क ष ग घ ङ ____ पूर्व
आग्रेय श ष स ह
य र ल व च छ ज झ ज मध्य
दक्षिण त थ द ध न ए ऐ ओ औ
ट ढ ड ठ ण वायव्य
पश्चिम
उत्तर
नैर्ऋत्य
प्रश्न बः स्याद्यदि प्राच्यां नरशल्यं तदादिशेत। सार्धहस्तप्रमाणेन तच्च मानुषमृत्यवे॥ 163 ॥
इस यन्त्र के बाद शल्य है अथवा नहीं? ऐसा प्रश्न करने यदि प्रश्नकर्ता के वाक्य में 'ब' अक्षर आए तो पूर्व दिशा में भूमि में डेढ़ हाथ की गहराई पर मनुष्य की हड्डी होगी, इससे मृत्यु की आशङ्का जाननी चाहिए।
अग्नेर्दिशि तु कः प्रश्ने खरशल्यं करद्वये। राजदण्डो भवेत्तस्मिन् भयं नैव निवर्तते ॥ 164॥
प्रश्न में यदि 'क' आए तो अग्निकोण में भूमि में दो हाथ नीचे गर्दभ शल्य मिलेगा। यह शल्य राजदण्ड प्रदायक होता है और इस भय का निवारण नहीं होता।
याम्यायां दिशि चः प्रश्ने नरशल्यमधौ भवेत्। तद्गृहस्वामिनो मृत्युं करोत्याकटिसंस्थितम्॥165॥
प्रश्न में यदि 'च' आए तो दक्षिण में भूमि के अन्दर कटिपर्यन्त मनुष्य का शल्य है, ऐसा समझना चाहिए। इससे गृहस्वामी की मृत्यु की आशङ्का होती है।
नैर्ऋत्यां दिशि तः प्रश्ने सार्धहस्तादधस्तले। शुनोऽस्थि जायते तच्च डिम्भानां जनयेन्मृतिम्॥166॥
प्रश्न में यदि 'त' अक्षर आए तो नैर्ऋत्य कोण में भूमि में डेढ़ हाथ नीचे कुत्ते की हड़ी होती है, यह शल्य बालकों के लिए मृत्युप्रद जानना चाहिए।
ए प्रश्ने पश्चिमायां च शिशोःशल्यं प्रजायते। सार्धहस्त प्रवासाय सदनस्वामिनः पुनः॥ 167॥
वत्थुसारपयरणं में यही मत आया है- बकचतएहसपज्जा इअ नव वण्णा कमेण लिहियव्वा। पुव्वाइदिसासु तहा भूमिं काऊण नव भाए। अहिमंतिऊण खडियं विहिपुव्वं कनाया करे दाओ। आणाविजई पण्हं पण्हा इम अक्खरे सल्लं ॥ (1, 11-12)