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अथ दीपशयनवरवधूलक्षणजातकादीनां वर्णनं नाम पञ्चमोल्लासः : 119
ही क्या, वृद्धि ही होगी । शुभफलदचतुर्चिह्ना:
शफरो मकरः शङ्खः पद्मः पाणौ स्वसम्मुखः ।
फलदः सर्वदैवान्तकाले पुनरसम्मुखः ॥ 67 ॥
शफर (मत्स्य की एक प्रजाति), मकर, शङ्ख और कमल- ये चार चिह्न हाथ में अपने सम्मुख हों तो सदैव उत्तम फलप्रद जाने । यदि सम्मुख न हों तो अन्त समय पर शुभफल देने वाले होते हैं ।
शतं सहस्त्रं लक्षं च कोटि दद्याद्यथा क्रमम् ।
मीनादयः करे स्पष्टाश्छिन्नभिन्नादयोऽल्पदाः ॥ 68 ॥
मत्स्य आदि उक्त चिह्न यदि हाथ में बहुत स्पष्ट हों तो व्यक्ति को क्रमशः सौ, हजार, लाख और करोड़पति बनाते हैं परन्तु यदि छिन्न-भिन्न और अस्पष्टादि हों तो अल्प द्रव्य ही प्रदान करते हैं।
सिंहासनादिलक्ष्मफलं सिंहासनदिनेशाभ्यां नन्द्यावर्तेन्दुतोरणैः । 'पाणिरेखास्थितैर्मर्त्याः सार्वभौमा न संशयः ॥ 69 ॥
यदि मनुष्य की हस्तरेखा में सिंहासन, सूर्य, नन्द्यावर्त चिह्न, चन्द्रमा और तो वह मनुष्य सार्वभौम राजा (बहुत प्रभुत्व - प्रभाव सम्पन्न) हो, इसमें कोई संशय नहीं जाने।
छत्रचामरादिफलं -
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आतपत्रं करे यस्य दण्डेन सहितं पुनः ।
चामरद्वितयं चापि चक्रवर्ती स जायते ॥ 70 ॥
जिसकी हस्तरेखा में यदि दण्ड सहित छत्र और दो चँवर होते हैं, वह निश्चित ही चक्रवर्ती राजा होता है ।
श्रीवत्सवज्रप्रासादलक्ष्मफलं
श्रीवत्सेन सुखी चक्रेणोर्वीशः पविना धनी । भवेद्देवकुलाकार रेखाभिर्धार्मिकः पुमान् ॥ 71॥
जिस मनुष्य के हाथ में श्रीवत्स चिह्न हो तो वह सुखी होता है। वज्र हो तो राजा और यदि देवमन्दिर के आकार की रेखाएँ हों तो वह धार्मिक प्रवृत्ति का होता है । यानादिलक्ष्मफलं
याप्ययानरथाश्वेभवृषरेखाक्तिाः कराः ।
येषां ते परसैन्यानां हठग्रहणकर्मठाः ॥ 72 ॥