Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 7
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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अष्टमोऽध्यायः
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की निवृत्ति के लिये है । अर्थात् आत्मसंबंधी उसी क्षेत्र में कर्मपुद्गल समा जाता है । कर्म पुद्गलों के आ जाने से दोनों की क्षेत्रांतर में प्राप्ति नहीं हो जाती है । " स्थिताः " यह पद तो गमन, भ्रमण, आदि अन्य क्रियाओं की निवृत्ति के लिये कहा गया समझो ।
एक क्षेत्रावगाहवचनं क्षेत्रांतर निवृत्त्यर्थं स्थिता इति वचनं क्रियान्तरनिवृत्त्यर्थमिति प्रतिपादनात् । एक्रक्षेत्रावगाहः कोसाविति चोच्यते ।
उन कर्मों का आत्मा के साथ एकक्षेत्र में अवगाह हो जाता है यह सूत्रकार का कथन करना तो अन्य क्षेत्रों की निवृत्ति करने के लिये है, जो ही क्षेत्र आत्मा के ठहरने का हैं उन्हीं प्रदेशों में कर्मों का अवगाह है, कर्मों का कोई दूसरा आधारक्षेत्र नहीं है और " स्थिताः " वचन तो अन्य क्रियाओं की निवृत्ति के लिये हैं । जब कि इस प्रकार अन्य ग्रन्थों में भी प्रतिपादन किया गया है । यहाँ कोई प्रश्न उठाता है कि वह एक क्षेत्र में दोनों का अवगाह हो जाना भला क्या है ? बताइये । यो जिज्ञासा प्रवर्तने पर ग्रन्थकार करके और भी उत्तर कहा जा रहा है ।
अत्यन्तनिविडावस्थावगाहोर्थात् प्रतीयते । तेन तेऽवस्थितास्तत्र गोमयो धूमराशिवत् ॥ ६ ॥
उस एक क्षेत्रावगाह कह देने से इतनी बात विना कहे ही तात्पर्य अर्थ से प्रतोत हो जाती है कि अन्यत्र सघन, निबिड़, संश्लेषण, अवस्था प्राप्त होकर दोनों का अवगाह हो रहा है, तिस कारण सिद्ध हो जाता है कि वे कर्मप्रदेश उस आत्मा में गोबर में धूमराशि के समान स्थित हो रहे हैं । अर्थात् जिस प्रकार गोबर के छोटे से एक इंच लंबे, चौडे टुकडे से दशगज लम्बे, चौडे, घर को ठसा ठस भर देने वाला धुआं स्थित हो रहा है, उस विशाल स्थल में भर गये धूआं के प्रत्येक अवयव के नियत उपादानकारण प्रथम से ही छोटी कम्सी में विद्यमान थे । उसी प्रकार आत्मा के क्षेत्र में ही अनन्तानन्त कर्म स्कन्ध ठहरे हुये हैं ।
ततः सूक्ष्माश्च ते एक क्षेत्रावगाह स्थिताश्चेति स्वपदार्थवृत्तिः प्रत्येया, तेच कर्मरणः प्रदेशाः ।
तिस कारण से यहां सूक्ष्म हो रहे सन्ते वे पुद्गल एक क्षेत्र में अवगाह कर स्थित हो रहे हैं यों अपने ही समासघटित पदों के अर्थ को प्रधान रखने वाला कर्मधारय समास नामक वृत्ति समझ ली जाय । और कर्मधारय समास में विग्रह के लिये कहे गये