Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 7
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri

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Page 496
________________ दशमोऽध्यायः ४७१) इस नीति अनुसार मुझ अल्पबुद्धि जीवसे अनेक त्रुटियां हो जाना संभव किन्तु " हंसक्षीर " न्याय अनुसार शोधन करते हुये सज्जन पुरुष सिद्धान्तोक्त अर्थका ग्रहण करे। ऐसा निवेदन है। ॥ॐ नमः सिद्धेभ्यः सिद्धिदेभ्यः ॥ ॥ ॐ नमः शांतिनाथाय जगच्छरण्याय ॥ मिति प्रथम भाद्रपद कृष्णा नवमी मंगलवार विक्रम संवत् १९९३ वीर निर्वाण सम्वत् २४६२ श्री वीरः स श्रिये नः स्यादुष्कर्मध्वान्तभास्करः। . यज्ज्ञानान्धौ प्रमीयते लोकालोको द्विविन्दुषत् ॥ ___" नमोस्तु महावीराय" मार्गशीर्ष पञ्चभ्यां रविवासरे सं. १९९८ वीर नि. सं. २४६७ शोधनकर्म निर्वृत्तम् । " नमोऽस्तु जिनवाण्यै, दुष्कर्मसम्बर निर्जरासम्पादिकाय "

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