Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 7
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
View full book text
________________
२८२)
तत्त्वार्थश्लोकवातिकालंकारे
कथमेकं ध्यानं चत्वारि ध्यानानि स्युरित्याह
यहां कोइ जिज्ञासु बनकर पूंछता है कि एक ध्यान हो फिर आर्त आदि चार ध्योन स्वरूप कैसे हो जायेंगे? बताओ, एक एक हो है, चार चार हो हैं, एक तो चार नहीं होसकता है। जब ध्यान के पारमार्थिक पने का विचार करने लगे तो उसको संख्या या विशेषणों का भी यथार्थ निर्णय होजाना चाहिये, विनीत शिष्य की ऐसो निर्णयको इच्छा प्रवर्तने पर ग्रन्थकार समाधान कारक अग्रिमवातिक को स्पष्ट कह रहे हैं।
प्रार्तादीनि तदेव स्युश्चत्वारि प्रतिभेदतः
ध्यानान्येकानसामान्य-चिन्तान्तरनिरोधतः॥१॥
एकाग्रचिन्तानिरोध स्वरूप होरहा वही ध्यान अकेला भेद, प्रभेद करदेने से अतं, रौद्र, आदि प्रकार स्वरूप चार ध्यान होजाते हैं, क्योंकि चारो मे अन्य चिन्ताओं का निरोध कर देनेसे सामान्यरूपसे एकाग्रपना पाया जाता है, जैसे कि सींग और सास्ना (गलकम्बल) से सहितपना गौ का सामान्य लक्षण है। वह काली, नीली, लाल, कपिल, धवल सम्पूर्ण गायों में पाया जाता है, उसी प्रकार अन्य चिन्ताओ का निरोत्र कर एकटक एकाग्र बने रहना यह ध्यान का सामान्य लक्षण आर्त, रौद्र, धर्म्य शुक्ल ध्यानों मे सुघटित होरहा है।
आर्तरौद्रधाण्यपि हि ध्यानान्येवकाग्यसादृश्यात् चिन्तान्तरनिरोधाच्च शुक्लवत् । केवलमप्रशस्ते पूर्वे प्रशस्ते चेतरे । कुत इत्याह ।
आर्त और रौद्र तथा धयं ये तीनो भी पुरुषार्थ (पक्ष) ध्यान ही है। (साध्यदल) एक अग्र मे नियत अन्तर्मुहुर्त कालतक टिका रहने धर्म का सदशपना होने से (पहिला हेतु) और अन्य अनेक चिन्ताओं का निरोधकर अनन्यगति चित्त की एकाग्न केन्द्रित अवस्था होजाने से (दूसरा हेतु) शुक्ल ध्यान के समान (अन्वयदृष्टान्त)
___ भावार्थ - जैन सिद्धांत मे "नित्यमेकमनेकानुगतं सामान्यं" नित्य और एक तथा अनेकों मे अन्वित होकर रहने वाले घटत्व, पटत्व आदि को सामान्य (जाति) नहीं माना गया है, किन्तु 'सदृशपरिणामस्तिर्यक् खण्डमुण्डादिषु गोत्ववत्" घट, पट,गाय, आदि पदार्थों के सदृश परिणमनों को घटत्व, पटत्व, गोत्व आदि सामान्यरूप माना गया है । जिसका कि तदाश्रयव्यक्तियों के साथ कथंचित् भेद, अभेद है । ध्यानत्व जाति भी एकाग्रचिन्तानिरोधस्वरूप सादृश्य सामान्य अनुसार चारों ध्यानों मे अन्यूनानतिरिक्त