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विषयानुक्रमणिका प्रथमाधिकार
श्लोक संख्या पृष्ठ मङ्गलाचरण ग्रंथकारकी प्रतिज्ञा मोक्षका मार्ग सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और राम्यक नारित्रका स्वरूप सर्वप्रथम तन्वार्थ ही जानकार है सात तत्त्वार्थोके नाम सात तत्त्वार्थोम हेय और उपादेयका वर्णन चार निक्षेप नामनिक्षेपका लक्षण स्थापनानिक्षेपका लक्षण द्रब्यनिक्षेपका लक्षण भावनिक्षेपका लक्षण प्रमाण और नसके द्वारा जीवादि पदार्थो का बोध होता है प्रमाणका लक्षण और उसके भेद परोक्षप्रमाणका लक्षण प्रत्यक्षप्रमाणका लक्षण सम्यग्ज्ञानका स्वरूप और उसके भेद मतिज्ञानके भेद और उसकी उत्पत्तिके कारण
१९-२० मतिज्ञानके अन्य भेद
२४ श्रुतज्ञानका स्वरूप तथा भेद अवधिज्ञानका स्वरूप तथा भेद
२५-२७ मनःपर्ययज्ञानका लक्षण और भेद
२८ ऋजुमति और विपुलमतिमें विशेषता
२९ केवलज्ञानका लक्षण मतिज्ञानादि पांच ज्ञानोंका विषय-निवन्ध एक जीवमें एक साथ कितने ज्ञान हो सकते है ? मियाज्ञान तथा उनकी अप्रमाणता नयका लक्षण और उसके भेद द्रव्यार्षिक और पर्यायाथिकनयका स्वरूप
३८-४०