Book Title: Tattvarthsar
Author(s): Amrutchandracharya, Pannalal Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
View full book text
________________
२२६
तत्त्वार्थसार
२६-२७
८४-८५ ८४-८५
१८३
str
३२ १७१
उच्छ्वास उरकर उत्तरगुणनिवर्तमा उत्तराध्ययन उत्पाव उत्पादपूर्व उत्सर्गसमिति उत्सपिणी उद्योत उद्योत उपकरणसंयोग उपपात सपघात उपचारविनय उपभोगान्तराय उपयोग उपयोग उपपादजन्म उपवासतप उपशान्तकषाय उपशमश्रेणी उपासकाध्ययनात उष्णपरिषह उह काजुमतिमनःपर्यज्ञान बजुसूत्रनय एक एकत्वशुक्लध्यान एकत्वानुप्रेशा एकविध एवंभूतनय एषणासमिति ऐकान्तिकमिथ्यात्व
१४६ मोदयिकभाव १७ औदारिकारीर ११४ औपसमिकचारित्र
औपमिकभाव ९२ औपमिकसम्यक्त्व ११ कर्मप्रवाद १६३ कल्पव्यवहार
कल्पाकल्प्य
कल्पातीत १०७
कल्पोपपन्न कल्याणवाद
कषाय १४९ कपायचतुष्टय
कषायमार्गणा १५४ कापोतलेश्या
कार्यलेशतप कायनिसर्ग कायिकी क्रिया काल कालद्रव्य क्रिल्षिप कोलकासंहनन कुअवधि कुजकसंस्थान कुमतिः कुश्रुत
केवलज्ञान १८७ कृतिकर्म
कृपालेश्या
क्रन्दन २१ क्रिया
क्रियाविशाल १४० क्षपकश्रेणी
६२-६३ १७८
२४-२५
८५
२८
२८

Page Navigation
1 ... 277 278 279 280 281 282 283 284 285