Book Title: Tattvarthsar
Author(s): Amrutchandracharya, Pannalal Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 277
________________ शब्दानुक्रमणी १६६ १० १४५ ७-८ ११५ ११ अकामनिर्जरा अङ्गोपाङ्ग अगुरुलघु अजीव अजोबाधिकरणानव अज्ञान अज्ञानपरिषद अक्षरश्रुतज्ञान अक्षरसमासश्रुतज्ञान অধিস अक्षोत्यविज्ञान अणुचटन अणुवत अतिथिसंविभाग अदर्शनपरिषह अधर्मद्रव्य अधिकरण अध्रुव अनन्तानुबंधी अनर्थदण्डनत अननुगामी अवधि ज्ञान अनवस्थित अवधिज्ञान अनाकांक्षानिया अनादेय अनाभोगक्रिया मनाभोगनिक्षेपाधिकरण अनिःसृत अनिवृत्तिकरणगुणस्थान अनित्यानुप्रेक्षा १२० अनीक १४९ अनुगामी अवधिज्ञान १४९ अनुक्त अनुत्तरोपपादिकदशाङ्ग ११३ अनुयोगयुतज्ञान अनुयोगसमासश्रुतज्ञान अनुप्रेक्षास्वाध्याय अनुभवबन्ध अनुभागबन्ध अन्तराय अन्तराय १०७ अन्तकृद्दशान १२४ अन्तरङ्गानिवृति १३० अन्तर अन्यत्वानुप्रेक्षा अपरत्व अपर्याप्त ७.८ अपर्याप्तक अपायविचयवध्यान १२९ अपूर्वकरण अप्रमससंगत अप्रत्याख्यानक्रिया ११३ अप्रत्याख्यानावरण १.० अप्रत्यवेक्षितनिक्षेपाधिकरण ११२ अभव्यत्व ११४ अयशःकीति ७-८ अयोगकेवली मरतिपरिवह १७० अर्थावग्रह २४-२५ १७० १४९ १४८ ३८ ११३ ४० १६६

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