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तत्त्वार्थसार
और उसके आधारोंका यथाशक्य निरूपण किया है। लेख-विस्तारके मयसै आधारोंके समस्त अवतरण नहीं दिये जा सके है, इसलिये मूल ग्रन्थों से उनका अध्ययन अपेक्षित है यहाँ सकेत मात्र किया गया है। प्रस्तावनामें जिन ग्रंथों अथवा पत्र-पत्रिकाओंसे सहायता ली गई है उन सबका निर्देश पृथक से किया गया है। में उन सभी विद्वानोंके प्रति नम्र आभार प्रकट करता हूँ।
ग्रंथका प्रकाशन श्रीगणेशप्रसाद वी ग्रंथमाला वाराणसीकी ओरसे हो रहा है । इसलिये उसके मंत्री डॉ. दरबारीलालजी कोठिया एवं अन्यान्य अधिकारी धन्यबादके पात्र है। साहित्यसेवाका मुझे व्यसन है इसलिये दिन-रातमें जब कभी भी समय मेरे पास नित्यकर्मोसे बनता है उसका उपयोग साहित्य-निर्माणमें हो होता है ।। अन्तमें अल्पज्ञलाके कारण रही ग्रुटियोंके लिये विद्वानोंसे क्षमा-प्रार्थना करता हूँ।
विनीत सागर
पन्नालाल जैन
प्रस्तावना जपयुक सामग्री १. तत्त्वार्थसूत्र-मास्करनन्दिको सुखबोध टीकासहित ।
संपादक श्री पं० शान्तिराजजी न्यायतोर्थ । २. राजवातिक-भारतीय ज्ञानपीठसे प्रकाशित, संपादक डॉ. महेन्द्रकुमारजी ३. लोकवातिक-कुन्धुसागर संथमालासे प्रकाशित संपादक पं. माणिकचन्द जी । ४. तस्वार्षवृत्ति-भारतीय ज्ञानपीठ, संपादक डॉ० महेन्द्रकुमारजी। ५. तत्त्वानुशासन-वीरसेवामन्दिर, संपादक पं० जुगलकिशोरजी मुख्तार । ६. जनसाहित्य और इतिहास-ले. पं० नाधूरामजी प्रेमी । ७. जनसंदेशके शोधक, लखनऊ। ८. अनेकान्त-बीरसेवामन्दिरका मुखपत्र। ९. सर्वार्थसिद्धि--भारतीय ज्ञानपीठ, संपादक पं फूलचन्द्र जी शास्त्री । १०, पुरुषार्थसिद्धयुपाय-रायचन्द्रग्रंथमाला, संपादक पं. माथूरामजी प्रेमी । ११. समयसार-अहिंसामन्दिर बिल्ली । १२. प्रवचनसार-रायचन्द्र ग्रंथमाला बम्बई । १५. पश्चास्तिकाय-रायचन्द्रग्रंथमाला बम्बई । १४. पंचसंग्रह-भारतीय ज्ञानपीठ, संपादक पं. हीरालालजी शास्त्री। १५. संस्कृतपंचसंग्रह-माणिकचन्द्र ग्रंथमाला बम्बई। आदि ।