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पचमाधिकार
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स्थावर - जिसके उदयसे एकेन्द्रिय जीवों में जन्म हो उसे स्थावर नामकर्म
कहते हैं ।
पर्याप्त - जिस कर्म के उदयसे आहार आदि पर्याप्तियोंकी पूर्णता होती है उसे पर्याप्त नामकर्म कहते हैं ।
अपर्याप्त-जिसके उदयसे एक भी पर्याप्त पूर्ण न हो उसे अपर्याप्त नामकर्म कहते हैं ।
बादर - जिसके उदयसे बादर – दूसरोंको रोकनेवाला तथा दूसरोंसे रुकने वाला शरीर प्राप्त हो उसे बादर नामकर्म कहते हैं ।
सूक्ष्म-जिसके उदयसे सूक्ष्म - दूसरोंको नहीं रोकनेवाला तथा दूसरोंसे नहीं रुकनेवाला शरीर प्राप्त हो उसे सूक्ष्म नामकर्म कहते हैं ।
शुभ --जिसके उदयसे शरीरके अवयव शुभ हों उसे शुभ नामकर्म कहते हैं । अशुभ -जिसके उदयसे शरीर के अवयब अशुभ हों उसे अशुभ नामकर्म कहते हैं ।
स्थिर-जिसके उदयसे शरीरको धातुएँ तथा उपधातुएं अपने-अपने स्थान पर स्थिर रहें उसे स्थिर नामकर्म कहते हैं ।
अस्थिर - जिसके उदयसे शरीरकी धातुएँ और उपधातुएं अपने-अपने स्थान पर स्थिर न रहें उसे अस्थिर नामकर्म कहते हैं ।
सुस्वर - जिसके उदयसे अच्छा स्वर प्राप्त हो उसे सुस्वर नामकर्म कहते हैं।
दुःस्वर-जिसके उदयसे अच्छा स्वर प्राप्त न हो उसे दुःस्वर नामकर्म कहते हैं ।
सुभग-जिसके उदयसे ऐसा शरीर प्राप्त हो जो अन्य लोगोंको प्रीति उत्पन्न करनेवाला हो उसे सुभग नामकर्म कहते हैं ।
दुभंग-जिसके उदयसे ऐसा शरीर प्राप्त हो जो रूपादिगुणोंसे युक्त होनेपर भी दूसरोंके लिये प्रीति उत्पन्न करनेवाला न हो उसे दुभंग नामकर्म कहते हैं ।
आवेब---जिसके उदयसे शरीर एक विशिष्ट प्रकारकी प्रभासे सहित हो उसे आदेय नामकर्म कहते हैं ।
अनादेय-जिसके उदयसे शरीर विशिष्ट प्रभासे सहित न हो उसे अनादेय नामकर्म कहते हैं ।
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