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तत्त्वापंसार
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पक्रम अधिकार मङ्गलाचरण और प्रतिज्ञावाक्य बन्धक पांच हेतु मिथ्यास्वके पांच भेद ऐकान्ति कमिथ्यात्वका लक्षण सोशथिमिथ्यात्वका लक्षण विपरीतमिथ्यात्वका लक्षण आज्ञानिकमिथ्यात्वका लक्षण वैन विकमिथ्यात्वका लक्षण बारह प्रकारका असंयम प्रमावका लक्षण पच्चीस कषाय पन्द्रह योग बन्धका लक्षण कर्म आत्माका गुण नहीं है कर्मोंका मूर्तिकपना किस तरह है ? मतिक काँका अमतिक मात्माके साथ बन्ध किस प्रकार होता है ? १६-२० बन्धके चार भेद कोको आठ मूलप्रकृतियाँ कोंकी एकसौ अड़तालीस उत्तरप्रकृतियां ज्ञानावरणकी पांच प्रकृप्तियाँ दर्शनावरणको नौ प्रकृतियाँ
२५-२६ वेदनीयकर्मको दो प्रकृतियाँ मोहनीयकर्मको अट्ठाईस प्रकृतियां
२७-२९ आयुकर्मको चार प्रकृतियां नामकर्मकी तेरानवें प्रकृतियाँ
३१-३९ गोत्रकर्मकी दो प्रकृतियाँ अन्तरायकर्मके पांच भेद बन्धयोग्य प्रकृतियाँ
४१-४२ कमौका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध
४३-४४ कर्माका अघन्य स्थितिबन्ध
४५-४६ अनुभवबन्धका लक्षण प्रदेशबन्धका स्वरूप
४७-५०
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