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सूरीश्वर और सम्राट् ।
एक दूसरे जैन कवि पं० दयाकुशलने अम्बरकी मौजूदगीहीमें - यानी अकबरका स्वर्गवास हुआ उसके बारह बरस पहिले 'लाभोदयरास' नामकी एक पुस्तक बनाई है। उसमें अकबर के वर्णन में लिखा है:
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अकबर बड़ा हठी था । उसका नाम सुनते ही लोग काँपते थे । उसने चित्तौड़, कुंभलमेर ( कुंभलगढ़ ) अजमेर, समाना, जोधपुर, जैसलमैर, जूनागढ़, सूरत, भडोच, मांडवगढ़, रणथंभोर, सियालकोट और रोहितास आदि किले लिये थे । गौड़ आदि कई देश भी उसने अपने अधिकृत किये थे । बड़े बड़े राजा महाराजा उसकी सेवा करते थे । रोमी, फिरंगी, हिन्दु, मुल्ला, काजी और पठान आदि कोई ऐसा नहीं था जो उसकी आज्ञाका उल्लंघन करता । "
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अकबरकी सेनाके संबंध में अबुलफजल लिखता है:" सम्राट्के पास ४४ लाख सैनिक थे । उनमेंका बहुत बड़ा भाग उसे जागीरदारों की ओरहीसे मिला था ।
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फिच लिखता है, " कहा जाता है कि, अकबरके पास १०००, हाथी, ३००००, वोड़े, १४०० पालतू हिरण, ८०० रक्खी हुई स्त्रियाँ थीं और इनके अलावा चीते, वाघ, भैंसे, और मुर्गे वगैरा बहुत कुछ थे । "
अकबरकी सेना आदिके विषय में भिन्न २ मत हैं । जिनका ऊपर उल्लेख किया जा चुका है । इससे अकबर के पास वास्तवमें कितनी सेना थी सो निश्चित करना यदि असंभव नहीं तो भी कटसाध्य अवश्य है । मगर इतना अनुमान किया ही जा सकता है कि भिन्न भिन्न लेखकोंने भिन्न भिन्न दृष्टिबिन्दुओं से उक्त वर्णन लिखा है । अस्तु । इस बातको एक ओर रख दें तो भी इतना तो अवश्यमेव
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