Book Title: Surishwar aur Samrat Akbar
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharm Laxmi Mandir Agra

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Page 459
________________ ४०२ सूरीश्वर और सम्राट्। है । मैंने इनमें आठ नौ वरसकी आयुके छोकरोंको मी देखा है। वे देवोंके समान लगते हैं । वे मुझे भारतके नहीं मगर युरोपकेसे लगते हैं । इतनीसी आयुमें ही उनके मातापिताने उन्हें इस धर्मके भेट कर दिया है। ___" वे पृथ्वीको अनादि मानते हैं । वे कहते हैं कि इतने समयमें ( अनादिकालमें ) उनके ईश्वरने २३ पैगम्बर ( तीर्थकर ) भेजे और इस अन्तिम युगमे एक और भेजा । इस तरह सब चौबीस हुए । इस चौबीसवेको हुए दो हजार बरस बीत गये हैं। उसी समयसे अबतक दूसरे पैगम्बरोंने नहीं बनाये ऐसे ग्रंथ उनके पास हैं। "फादर जेवियरने और मैंने इसके संबंधमें उनसे बातचीत की और पूछा कि, क्या इस अन्तिम पैगम्बरके द्वारा ही तुम्हारा उद्धार होगा ? " उपर्युक्त बावनशा हमारा दुभाषिया था। और उन्होंने हमसे कहा कि, इस विषयमें हम फिर वार्तालाप करेंगे । मगर हम दूसरे ही दिन वहाँसे रवाना हो गये इसलिए फिरसे वहाँ न जा सके । उन्होंने तो आग्रहपूर्वक हमें बुलाया था।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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