Book Title: Surishwar aur Samrat Akbar
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharm Laxmi Mandir Agra

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Page 471
________________ ४१४ सूरीश्वर और सम्राट् । पृ० ११८ में १०० टंकोंके बराबर ४० दाम (१ रुपया) बताये गये हैं। इससे भी उपर्युक्त कथनहीकी पुष्टि होती है । इसके अलावा और भी कई ताँबेके सिके चलते थे। वे फ़लूम, निस्फी, एकटंकी, दोटंकी, चारटंकी आदिके नामसे ख्यात थे। अकबरके समयमें, जैसा कि ऊपर उल्लेख हुआ है, मुहरवाले सिकका प्रचार था । इसी तरह बगैर मुहरकी भी कई चीजें नाणामुद्राकी तरह काममें आती थीं। उनका हिसाब गिनतीसे होता था। ऐसी चीज़ोंमें ( कडवी ) बादामें और कोड़ियाँ मुख्य थीं। टेवरनियरने लिखा है कि, " मुगलोंके राज्यमें कड़वी बादाम और कोड़ियाँ भी चलती थीं। गुजरात प्रान्तमें छोटे लेनदेनके लिए ईरानसे आई हुई कड़वी बादामें चलती थीं। एक पैसेकी ३५ से ४० तक बादामें मिलती थीं।" इसी विद्वानने आगे लिखा है कि, "समुद्रके किनारेपर एक पैसेकी ८० कोड़ियाँ मिलती थीं। जैसे जैसे समुद्रसे दूर जाते थे वैसे ही वैसे कोड़ियाँ भी कम मिलती थीं । जैसे,-आगरेमे १ पैसेकी ५०-५५ मिलती थीं।" 'डिस्क्रिप्शन ऑफ एशिया के पृ० १६३ में भी बादामोंका भाव १ पैसेकी ३६ और कोडियोका भाव १ पैसेकी ८० बताया गया है। - ऊपरके वृत्तान्तसे अकबरके समयकी प्रचलित मुद्राका कोष्टक इस प्रकार बताया जासकता है, ३९ से ४० बादामें अथवा ८० कोड़ियाँ = १ पैसा। ४९ से १६ पैसे अथवा ४० दाम = १ रुपया । . १३॥ से १४ रुपया -१ अशरफ़ी १ देखो-' टेवरनियर्स ट्रेवल्स इन इंडिया' वॉ० १ ला. पृ. १३-१४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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