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सूरीश्वर और सम्राट् । (१) दाम-इसका वजन ५ टाँक था। पाँच टॉक एक तो० ८ माशा और ७ सुर्खके बराबर होता था । दाम एक रुपयेका चालीसवाँ भाग था । अर्थात् एक रुपये के चालीस दाम मिलते थे । यद्यपि यह सिका अकबरके पहले पैसा और बहलोली कहलाता था; मगर अकबरके समयमें तो दामके नामहीसे प्रसिद्ध था । इस सिक्कमें एक तरफ़ टकसालका नाम और दूसरी तरफ़ संवत् रहता था । अबुल्फ़ज़ल कहता है कि,-" गिनतीकी सरलताके लिए एक दामके २५ भाग किये गये थे। उसका प्रत्येक भाग जेतल कहलाता था। इस काल्पनिक विभागका उपयोग केवल हिसाबी ही करते थे।
(२) अधेला-यह आधे दाम जितना था। (३) पाउला--दामका चौथाई भाग। (४) दमड़ी-दामका आठवा भाग ।
उपर्युक्त प्रकारसे सोना चाँदी और ताँबेके सिक्के अकबरके समयमें प्रचलित थे । इनके अलावा थोड़े दूसरे सिक्के भी चलते थे। यह बात कुछ लेखकोंने लिखी है।
१ महमूदी-यह चाँदीका सिका था। इसकी कीमत एक शिलिंगके लगभग थी । अथवा २५-२६ पैसे एक महमूदीके मिलते थे। कहाजाता है कि, -" शायद यह महमूदी गुजरातके राजा महम्मद बेगड़ा ( ई. स. १४५९ से १५११ ) के नामसे प्रचलित हुई थी' । मेंडेल्स्लो नामका मुसाफिर लिखता है कि,-" हलकेसे हलके धातुके भेलसे सूरतमें यह महमूदी ढाली जाती थी। उसकी कीमत १२ पेन्स ( १ शि.) थी और वह सूरत, बडौदा, भरूच, खंभात और उसके आसयामके भागोंहीमें चलती थी।"
१ देखो-नासिक जिलेका गेजेटिअर, पृ० ४५९ का तीसरा नोट ।
२ देखो-' मीराते अहमदी' (बर्डकी ) पृ० १२६-१२७ तथा 'जर्नल ऑफ द बॉम्बे ब्रांच ' द रॉयल ए० सोसायटी' ई० स० १९०७ पृ० २४७.
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