Book Title: Surishwar aur Samrat Akbar
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharm Laxmi Mandir Agra

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Page 468
________________ परिशिष्ट (ज). पृ० ३८८-८९ में लिखता है कि,-" अकबरके रुपयेका मूल्य यदि अमीके हिसाबसे लगावे तो २ शी. ३ पेन्सके लगभग होता है।" ___ ' इंग्लिश फेक्टरीज़ इन इंडिया' नामके ग्रंथके ( ई. स. १६५१ से १६५४ ) पृ० ३८ में भी अकबरके रु. की कीमत उतनी ही अर्थात् २ शि. ३ पेन्स बताई गई है। 'डिस्क्रिप्शन ऑफ ए शया ' के पृ० १६३ में लिखा गया हैं,-" रुपया, रूकी, रुपया, अथवा शाहजहानी रुपयाके नापसे पहचाना जाता था। उसका मूल्य २ शि. २ पेन्सके बराबर था और वह खरी चाँदीका बनता था। यह सिक्का सारे गुजरातमें चलता था। इसी लेखकने लिखा है कि एक रुपया ५३-५४ पैसेका होता था ।" मि० टेबरनियरने ' ट्रेवल्स इन इंडिया के प्रथम भागके १३-१४ वे पृष्टमे लिखा है कि,-" मेरी ( भारतकी) अन्तिम यात्राके समय सूरतमें १ रु० के ४९ पैसे मिलते थे । कई बार ५० भी मिलते थे। कभी कभी ४६ का भाव भी हो जाता था।" इसी पुस्तकके ४१३ वे पृष्ठमें उसने लिखा है कि,-" आगरे में एक रुपयेके ५५-५६ पैसे मी मिलते थे।" 'कलेक्शन ऑफ वॉयेजेज़ एण्ड ट्रेवल्स' के चौथे वॉ० के पृ० २४१ में लिखा है कि,- हिन्दुस्थान में जो सिक्के ढलो थे उनमें चाँदीके रुपये, अठन्नियाँ और चौ भन्नियाँ भी थीं।" यह कथन भी उपर्युक्त सिक्कों के जो भेद बताये गये हैं उन्हें सही प्रमाणित करता है। आगे चलकर इस लेखकने यह भी लिखा है कि, " एक रुपयेका मूल्य ५४ पैसा होता था। यह बात ऊपर बताई हुई .... रुपयेकी कीमतहीको सही साबित करती है।" अब अकबरके ताँबेके सिक्कोंका उलेख किया जायगा । अबुल्फजलन तानेके चार सिक बताय हैं । वे ये हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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