Book Title: Surishwar aur Samrat Akbar
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharm Laxmi Mandir Agra

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Page 465
________________ १०८ सूरीश्वर और सम्राट्। (१०) दसवाँ लालेजलाली नामका चौकोर सिक्का था। उसका वज़न और मूल्य इलाही सिक्के जितना ही था । उसके एक तरफ 'अल्लाहो अकबर' और दूसरी तरफ़ 'जल्ल जलालहू' शब्द लिखे थे। (११) अदलगुत्क नामक ग्यारहवाँ सिक्का था । उसका वज़न ११ माशे और मूल्य ९) रु. था। उसके एक तरफ़ 'अल्लाहो अकबर' और दूसरी तरफ 'यामुइनु' शब्द थे । (१२) बारहवाँ सिक्का गोल मुहर था। उसका वज़न और मूल्य अदलगुत्क सिक्के के समान थे। उसकी मुहर दुसरी तरहकी थी। ( १३ ) तेरहवाँ मिहराबी नामका सिक्का था । इसका वजन, मूल्य और मुहर गोल अशरफ़ीके समान थे। (१४ ) मुईनी सिका चौदहवाँ था. उसकी आकृति चोरस गोल थी । वज़न और मूल्य लालेजलाली और गोल मुहर जितना ही था । उसपर यामुईनु नामकी छाप थी। (१५) चहार गोशह नामक पन्द्रहवाँ सिक्का था । उसकी मुहर और वज़न आफ़ताबी सिक्केके समान थे। (१६ ) सोलहवाँ गिर्द नामका सिक्का था। वह इलाही नामक सिकेसे आधा था । मुहर भी उसके समान ही थी। (१७) सत्रहवाँ धन ( दहन ) नामका सिक्का था। वह लालेजलालीसे आधा था। ( १८ ) सलीमी नामक अठारहवाँ सिक्का था । यह अदल. गुत्कसे आधा था। ( १९ ) उन्नीसवाँ रबी नामक सिक्का था । वह आफ़ताबी सिकेसे चौथाई था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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