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सूरीश्वर और सम्राट् ।
इससे सिद्ध होता है कि, वह निद्रा बहुत ही कम लेना था । रातदिनमें सब मिलाकर केवल तीन घंटे ही वह सोता था । वैद्यकशास्त्र के नियमानुसार अल्पनिद्रा लेनेवालेको मिताहारी होना चाहिए, इसलिए अकबर भी परिमित आहार ही करता था । दिनमें भोजन केवल एक बार करता था; उसमें भी वह प्रायः दूध चावल और मिठाई खाता था ।
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इस तरह अकवरकी दिनचर्या ही ऐसी थी कि, जिससे वह किसी समय भी गाफिल नहीं होता था । प्रायः राजषड्यंत्रोंका वार रसोई और रसोइयोंद्वारा ही होता है; शत्रु इन्हींके द्वारा अपना मतलब साधते हैं । अकबर इससे अपरिचित नहीं था, इसलिए वह अपने रसोई घरमें काम करनेवाले लोगोंपर पूरी निगाह रखता था । प्रामाणिक और पूर्ण विश्वासपात्र मनुष्योंहीको वह रसोडेके अंदर रखता था । जो रसोई बनती उसे पहले दूसरा मनुष्य खालेता उसके बाद वह बादशाह के पास पहुँचाई जाती । रसोड़ेमें से जो रकाबियाँ जाती थीं वे सब मुहर लगकर बंद जाती थीं । अकबर ने अपने भोजनके संबंध में यह आज्ञा प्रकाशित की थी कि, " मेरे लिए जो भोजन तैयार हो उसमें से थोड़ा भूर्खो को दिया जाय । ” जिन बर्तनोंमें अकबर के लिए रसोई बनती थी उन पर महीने में दो बार और जिनमें राजकुमारों और अन्तःपुरकी बेगमों के लिए रसोई बनती थी उनमें महीने में एकबार कलई कराई जाती थी। अकबर प्रायः जौखार डालकर ठंडा किया हुआ, गंगाका पानी पीता था । रसोई घर में, इस लिए चंदोवे बाँधे जाते थे कि कहीं कोई जहरी जानवर अकस्मात् भोजनमे न गिर जाये । "
१ देखो The Mogul Emperors of Hindustan P. 137. ( द मुगल एम्परर्स ऑव हिन्दुस्थान पू. १३७ ) ।
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