Book Title: Surishwar aur Samrat Akbar
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharm Laxmi Mandir Agra

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Page 436
________________ परिशिष्ट (ग) फर्मानके विरुद्ध आचरण नहीं करना चाहिए। इसको अपना कर्तव्य समझना चाहिए। __ नम्रातिनम्र अबुल्झेरके लिखनेसे और पहम्मदसैयदकी नोंधसे । १ यह शेख मुबारिकका पुत्र और शेख अबुल्फ़ज़लका भाई था। वह हि. स. ९६७ के जमादी-उलअव्वलको उसरी तारीखको ( आइन-ई-अकबरीके अनुसार २२ वी तारीखको ) जन्मा था। यह बड़ा ही होशियार आर मला आदमी था । जबानपर उसका अच्छा काबू था । अबुल्फ़ज़लकी लिखी हुई चिट्ठियोंसे मालूम होता है कि, दूसरे भाइऑको अपेक्षा इसके साथ उसका विशेष संबंध था । अबुल्फ़ज़लके सरकारी कागज़ प्राय: इसीके हाथमें रहते थे। पुस्तकालयकी देखरेख भी यही करता था । विशेषके लिए देखो दर्बारे अकवरी पृ० ३५५-३५६ तथा आइन-ई-अकबरीके प्रथम भागमें दिया हुआ अबुल्फ़ज़लका जीवनचरित्र पृ० ३३. २ यह सुजातखाँ शादीबेगका लड़का था; परन्तु शेख फरीदने इसे गोद लिया था। कारण -शेख फरीदके कोई लड़का नहीं था और उसकी कन्या भी निःसन्तान मर गई थी। इसके अलावा मीरखाँ नामके एक युवकको भी शेख फरीदने गोद लिया था। इससे महम्मद सैयद और मीरखाँ दोनों भाई लगते थे । वे बड़े दवदवेसे रहते थे; वादशाह तककी कुछ भी परवाह नहीं करते थे । वे सीन लालटेनों और मशालसे सजी हुई नौकामें बैठकर, नि:संकोच भ बस बादशाही महलके पाससे गुजरते थे । जहाँगीरने कई बार उन्हें ऐसा करनरो राका मगर जब यह प्रवृत्ति बंद न हुई तब जहाँगीरकी सूचनास महासखाँज एक मनुष्य भेजकर मीरखाँको मरवा डाला । इससे शेख फरीदने महाबतखाँको प्राणदंड देनेकी बादशाहसे अर्ज की। मगर महाबतखाँने कई रुतबवाल साक्षा पेशकर यह बात प्रमाणित की कि,-मीरखाँको महाबतखाने नहीं सारा है बढ़के महम्मद सैयदने मारा है । इस तरह महम्मद सैयद के ऊपर यह कलंक लगा था । महम्मद सैयद शाहजहाँके २० वें बरसमें जीवित था । ७०० सौ पैदल' सीपाही 49 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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