Book Title: Surishwar aur Samrat Akbar
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharm Laxmi Mandir Agra

View full book text
Previous | Next

Page 400
________________ सम्राट्का शेषजीवन । ३९७ लेकर स्वयमेव उसको देखने के लिए गया। फैज़ी उस समय मरणशय्या पर पड़ा था। हरेकने फैजी के बचनेकी आशा छोड़ दी थी। अबुल्फज़ल एक कमरेमें शोकग्रस्त बैठा था। बादशाह निस हकीमको ले गया था उस हकीमके इलाजसे भी कोई फायदा नहीं हुआ । अन्तमें वह ( फैजी ) इस संसारको छोड़ कर चला ही गया । अपने प्रिय कवि फैजीकी मृत्युसे अकबरको इतना दुःख हुआ कि, वह ज़ार ज़ार रोया था । इससे यह बात सहन ही समझमें आ जाती है कि, फैजी पर अकबरका कितना प्रेम था। जिस रुपये खर्च कर देता था । जहाँगीरके समयमें, जहाँगीरने उसे दोहज़री बनाया था । अन्तमें हिजरी सन् १०१८ (ई. स. १६१०) की ५ वा मुहर्रम के दिन उसका देहान्त हुआ था । देखो,-'आईन-इ-अकबरी' के प्रथम भागके अंग्रेजी अनुवादके पृ० ४६६-४६७ । १ फैजीका जन्म ई. सन् १५४६ में आगरेमें हुआ था। उसका नाम अबुल्फेज था । नागारके रहनेवाले शेखमुबारिकका वह ज्येष्ठ पुत्र था ! उसको अरबी भाषा, काव्यशास्त्र आर वैद्यकशास्त्रका बहुत अच्छा ज्ञान था । उसके साहित्य ज्ञानकी प्रशंसा सुनकर अकबरने ई. सन् १५६८ में उसे अपने पास बुलाया था । वह अपनी योग्यतास थोड़े हो दिनों में अकबरका सदाका सहवासी और मित्र बनगया था । सम्राट् उसे शेखजी कहकर पुकारता था। राज्यके तेतीसवें वर्षमें वह 'महाकवि' बनाया गया था। फैजीको दमका रोग होगया था और उसी रोगसे वह राज्यके ४० वे वर्षों मर गया था। कहा जाता है कि, उसने १०१ पुस्तकें लिखी थीं। वह पढ़नेका बहुत शौकीन था। जब वह मरा तब उसके पुस्तकालयमेंसे ४३०० हस्तलिखित पुस्तकें निकली थी। उन पुस्तकाको अकबरने अपने पुस्तकालयमें रक्खा था । फजी प्रारंभमें राजकुमारका शिक्षक नियत हुआ था। उसने कुछ समय तक एलचीका कार्य भी किया था । विशेषके लिए देखो,-'आईन-इ-अकबरी' के प्रथम भागके अंग्रेजी अनुवादके पृष्ठ ४९०-९१ तथा 'दरबारे अकबरी' पृ० ३५९-४१८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474