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सूरीश्वर और सम्राट् ।
बरसे मिलने के पहिले, जो अवकाश मिला उसमें सूरिजी शेख अबुल्फ़ज़ल के यहाँ गये और बहुत समय तक उसके साथ धर्म - चर्चा करते रहे ।
विन्सेंट स्मिथ भी लिखता है कि, " बादशाह को उनसे ( हीरविजयसूरिसे) वार्तालाप करनेका अवकाश मिला तब तक वे अबुल्फ़ज़ल के पास बिठाये गये थे । "
"The weary traveller was made over to the care of Abul Fazal until the sovereign found leisure to converse with him. "
[ Akbar p. 167 J
अबुल्फज़ल के साथ उनकी यह प्राथमिक भेट और प्राथमिक धर्मचर्चा थी । इसमें अबुल्फ़ज़लने कुरानेशरीफ़की कई आज्ञाओंका प्रतिपादन किया था। जिन बातोंका अबुल्फ़ज़लने प्रतिपादन किया उन्हीं बातोंको सूरिजीने उसे युक्तिपूर्वक समझाया; ईश्वरका वास्तविक स्वरूप बताया और कहा कि दुःखसुखका देनेवाला ईश्वर नहीं है, बल्कि जीवके कर्म हैं। उसके साथ ही उन्होंने दयाधर्मका प्रतिपादन भी किया । शेख अबुल्फज़लको सूरिजीकी विद्वत्तापूर्ण वाणीसे और युक्तियोंसे बहुत ज्यादा आनंद
हुआ ।
अवुल्फज़ल के यहाँ चर्चा करनेहीमें लगभग मध्याहून काल बीत गया । यह तो हम पहिले ही कह चुके हैं कि उस दिन सूरिजीने आंबिलकी तपस्या की थी । अब वहाँसे उपाश्रय जाना और आहार करके वापिस आना करीब करीब अशक्य हो गया था । कारण वैसा करने में बहुत ज्यादा समय बीत जाता । इसीलिए सूरिजी उपाश्रय न गये । अबुल्फजुलके महलके पास ही
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