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विशेष कार्य सिद्धि। किया था। उन्होंने बादशाहसे उपदेश देकर अनेक कार्य करवाये थे। उनमेंसे मुख्य ये हैं,-गाय, भैंस, बैल और भैंसेकी हिंसाका निषेध, मृत मनुष्यका कर लेनेका निषेध, आदि । उनके उपदेशसे बादशाहने जो कार्य किये थे उनका पूरा वर्णन 'विनयप्रशास्ति काव्य में है। पं. दयाकुशल गणिने भी 'लाभोदय रास' नामके ग्रंथमें, विजयसेनसूरिके उपदेशसे बादशाहने जो कार्य किये थे उनका वर्णन किया है। उसका भाव यह है:
" अकबर बादशाहने गुरुको जो बख्शिशें दीं, उनको सुनकर हृदय प्रसन्न होता है और इस तरहकी माँग करनेवाले गुरुके लिए जबान धन्य धन्य कह उठती है। बादशाहने गुरुकी (विनयसेनसूरिकी) इच्छानुसार सिंधु नदीमें और कच्छके जलाशयोंमें-जिनमें मच्छियाँ मारी जाती थीं-चार महीने तक जाल डालना बंद करके, वहाँकी मछलियोंके प्राण बचाये । गाय, भैंस, बैल और भैंसोंका मारना बंद किया, (युद्ध में ) किसीको कैद नहीं करना स्थिर किया और मृतक मनुष्यका 'कर' लेना रोक दिया।"
___ अब तक जो बातें लिखी गई हैं उनसे यह स्पष्ट हो चुका है कि, आचार्य श्रीहीरविजयसूरि, श्रीशान्तिचंद्र उपाध्याय, श्रीभानुचंद्र उपाध्याय और श्रीविजयसेनसूरिने अकबर बादशाह पर प्रभाव डाल कर जनहितके, धर्मरक्षाके और जीवदयाके अनेक कार्य करवाये थे । गुजरातमें से 'जज़िया' उठवाया था। सिद्धाचल, गिरिनार, तारंगा, आबू, ऋषभदेव, राजगृहीके पहाड और सम्मेतशिखर आदि तीर्थ श्वेतांबरोंके हैं । इसका एक * परवाना लिया था। सिद्धाचलजीमें जो 'कर' . *यह असल परवाना अहमदाबादके सेठ आनंदजी कल्याणजीकी पेढीमें मौजूद है। उसका अंग्रेजी अनुवाद राजकोटके राजकुमार कॉलेजके मुम्शी
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