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सूरीश्वर और सम्राट। अपनी स्वाधीनताकी रक्षा की थी। इसीलिए इतिहासके पृष्ठोंमें उनका नाम 'हिन्दु सूर्य ' के मानद अक्षरोंसे अंकित है-अमर है।
हिन्दु वीरोंमें फूट डालते ही उनकी सहायतासे मिन्न भिन्न देशोंपर आक्रमण करने लगा और क्रमशः उन्हें अपने आज्ञाधारक बनाने लगा। अकबर स्वयं युद्धमें जाता था और एक ज़बर्दस्त योद्धाकी तरह युद्ध करता था। उसने अपनी वीरता, दृढता और होशियारीसे आशातीत सफलता प्राप्त की थी।
सैनिक उत्तम व्यवस्थाके कारण भी, अकबरका देशोंको जीतनेका काम बहुत सरल हो गया था। वह राजपूत राजाओंको सेनामें बड़े बड़े ओहदे देकर बहुत प्रसन्न रखता था। वह पाँच हजारसे अधिक फौज रखनेवालोंको ' अमीर । का और पाँच हजारसे कम फौन जिसके अधिकारमें होती थी उसको ' मनसबदार ' का पद देता था । इनके अलावा नीचे दर्जेके भी अनेक अधिकारी थे।
फौजकी योग्य व्यवस्थाकरके उसके द्वारा भिन्न भिन्न देशोंको विजय करनेमें उसने अविश्रान्त परिश्रम किया था । कहा जाता है कि, उसने बारह बरसतक लगातार युद्ध किये थे।
यह बात तो तीसरे अध्यायहीमें बताई जाचुकी है कि, अकबरने जिस समय राज्यकी बागडोर अपने हाथमें ली थी उस समय कौनसा देश किसके अधिकारमें था। उससे यह स्पष्ट मालूम होजाता है कि, भारतवर्षका बहुत बड़ा भाग स्वाधीन था; अकबरके . अधिकारमें नहीं था। इसीलिए समस्त भारतको अपने अधिकारमें करनेके लिए उसे सतत युद्ध करना पड़ा था। ____ अकबरने जितनी लड़ाइयाँ की उनमेंसे, पंजाब, सिंध, कंधार, काश्मीर, दक्षिण, मालवा, जौनपुर, मेवाड, गुजरात आदिकी लड़ाइयाँ
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