________________
३४२
सूरीश्वर और सम्राट् । आदि युद्धकी सामग्रियाँ तैयार होती थीं । एक कारखानेमें इतनी बड़ी तोपें बनती थीं कि उनमें बारह मन वजनका गोला आजाता था। लोग इतनी बड़ी तोपको देखकर, सुनकर आश्चर्यान्वित होते थे; परन्तु युरोपके महा समरमें जिन शस्त्रास्त्रोंका प्रयोग हुआ है उन्हें देखमुनकर लोगोंका वह आश्चर्य जाता रहा है। वैसी तो अब साधारण बात समझी जाने लगी हैं।
अकबर समझता था कि, दुराचार पापका मूल और अवनतिका प्रधान कारण है । जिस देशमें ब्रह्मचर्यका सम्मान नहीं होता उस देशकी उन्नति नहीं होती; जिस जातिमें ब्रह्मचर्यका नियम नहीं होता वह जाति निःसत्त्व होजाती है; और निस कुटुंबमें ब्रह्मचर्यका निवास नहीं होता वह अपमानित होता है, वह कभी गौरवान्वित नहीं होता । अकबरने अपनी प्रजाको ऐसे दुराचारवाले व्यसनोंसे दूर रखनेके अनेक उपाय किये थे । उसने वेश्याओंके लिए शहरसे बाहर रहनेका प्रबंध किया था। जिस स्थानपर वे रहती थीं, उसका नाम उसने ' शैतानपुर ' रक्खा था । सम्राट्ने शैतानपुर ' के नाके पर एक चौकी विठाई थी। चौकीका अहलकार वेश्याके यहाँ जानेवाले या वेश्याको अपने यहाँ बुलानेवालेका नाम, उसके पूरे पते सहित, लिख लेता था।
यह बात उपर कई बार कही जाचुकी है कि, अकबर जैसा सहनशील था वैसा ही कार्यकुशल भी था। यदि कोई उसे अचानक कमी कोई अप्रिय बात कह देता था तो अकबर एकदम उसपर कुपित नहीं होजाता था। वह पहली बारकी भूल समझकर उसे क्षमा कर देता था। जिस कारणसे मनुष्य उत्तेजित होता था उस कारणको यदि उचित होता तो, मिटानेका वह प्रयत्न करता था। लोगोंमें यह प्रसिद्ध
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org