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सूरीश्वर और सम्राट् । “ He cared little for flesh food, and gavo up the use of it almost entirely in the later years of his life, when he came under Jain influence."
अर्थात्-मांसाहार पर बादशाहकी बिलकुल रुचि नहीं थी। और अपनी पिछली जिन्दगीमें तो जबसे वह जैनोंके समागममें आया तभीसे, उसने इसका सर्वथाही त्याग कर दिया ।
इससे सिद्ध होता है कि, बादशाहसे मांसाहार छुड़ानेमें और जीववध बंद करानेमें श्रीहीरविजयसूरि आदि जैनउपदेशकोंका उपदेशही कारगर हुआ था। डॉ. स्मिथ यह भी लिखते हैं कि,
“ But the Jain holy men undoubtedly gave Akbar prolonged instruction for years, which-largely influenced his actions ; and they secured his assent to their doctrines so far that he was reputed to have been converted to Jainism. "
[Jain Teachers of Akber by Vincent A. Smith.] ___ अर्थात्-मगर जैनसाधुओंने वर्षों तक अकबरको उपदेश दिया था। बादशाहके कार्यों पर उस उपदेशका बहुत प्रभाव पड़ा था। उन्होंने अपने सिद्धान्त उससे यहाँ तक मनवा दिये थे कि, लोग उसे जैनी समझने लग गये थे ।
लोगोंकी यह समझ केवल समझ ही नहीं थी, बल्कि उसमें वास्तविकता भी थी। कई विदेशी मुसाफिरोंको भी अकबरके व्यवहारोंसे यह निश्चय हो गया था कि, अकबर जैनसिद्धान्तोंका अनुयायी था।
इसके संबंध डॉ. स्मिथने अपने 'अकबर' नामक ग्रंथमें एक मार्केकी बात प्रकट की है। उसने उक्त पुस्तकके २६२ वें पृष्ठमें पिनहरो ( Pinheiro ) नामके एक पोटुगीज़ पादरीके पत्रके उस
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