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आमंत्रण।
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मुझे आशा है कि, वे जा कर बादशाह पर अपना प्रभाव डालेंगे और बादशाहसे अच्छे अच्छे काम करवायँगे।"
खानने साथ ही यह भी कहाकि,-"सूरिजीको रस्तेमें हाथी, घोड़े, पालखी, धन-दौलत वगैरा जो कुछ उनके आरामके लिए चाहिए, मैं दूंगा। बादशाहने मुझे आज्ञा दी है । तुम्हें इसके लिए किसी तरहकी चिन्ता नहीं करनी चाहिए।"
___ यद्यपि बादशाहका पत्र पढ़ कर पहिले अहमदाबादके श्रावकोंको प्रसन्नता होनेके बजाय कुछ चिन्ता हुई थी, तथापि शहावखाँकी उत्तेजनादायक बात सुन कर पीछेसे उस चिन्तामें कमी हो गई । उनके चहरों पर कुछ प्रसन्नताकी रेखाएँ भी फूट उठी । अन्तमें वे शहावखाँको यह कह कर वहाँसे चले गये कि, सूरिजी महाराज इस समय गंधारमें हैं। उनको हम विनति करके अभी तो यहाँ ले आते हैं।
श्रावकोंने एकत्रित हो कर बच्छराज पारेख, मूला सेठ, नाना वीपू शेठ और कुंवरजी जौहरी आदिको भेजा । वे अपनी बैल गाड़ियाँ जोड़ जोड़ कर सीधे गंधारको गये । अहमदाबादके संघने खंभातके श्रीसंघको भी सूचना दी । वहाँके संघने भी अपनी तरफसे उदयकरण संघवी, बजिया पारेख, राजिया पारेख और राजा श्रीमल ओसवाल आदिको सीधे गंधार भेजा।
यद्यपि अहमदाबाद और खंभातके नेताओंके आनेसे सुरिजीको आनंद हुआ, तथापि उनके हृदयमें यह शंका उपस्थित हुए बगेर न रही कि ये लोग सहसा क्यों आये हैं ? दोनों नगरोंके संघोंने सरिजीको
और मुनिमंडलको वंदना की । सूरिजीका व्याख्यान सुना । सूरिजीने आहार-पानी किया। श्रावक भी सेवा पूजा और भोजनादि कार्योंसे
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