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८ भगवान महावीरस्वामी सर्वज्ञ थे वे गोशालकी दुष्ट प्रकृतिको साफ समपते थे फिर उन्होंने उसको क्रोध उत्पन्न करनेवाला उत्तर क्यों दिया ? जिससे उनके ऊपर उसने तेजोलेश्या छोड़ी।
इत्यादि अनेक दोष आजानेसे सिद्ध होता है कि केवली दशामें की महावीर स्वामीपर उपसर्स होनेकी बात असत्य है।
श्री महावीर स्वामीका गर्भहरण. अंतिम तीर्थकर श्री महावीर स्वामीके विषयमें दिगम्बर सम्प्रदायके विरुद्ध श्वेताम्बरीय ग्रंथोंमें एक यह बात लिखी है कि महावीर स्वामो पहले नीचगोत्रके उदयसे देवानंदा ब्राह्मणीके गर्भमें आये थे। फिर इन्द्रने हरिणगमेसी देवको भेजकर भगवान महावीर स्वामीको ८२ दिन पीछे देवानंदाके पेट में से निकलवाकर त्रिशलारानीके पेट में रखवा दिया और उसकी गर्भस्थ पुत्रीको देवानंदा के पेटमें रखवा दिया।
श्री महावीर स्वामीके गर्भमें आने के पहले देवानंदाको १४ शुभ स्वप्न दीखे थे और ८२ रात पीछे त्रिशला रानीके पेटमें पहुंचने के पहले . वैसे ही १४ शुभ स्वप्न त्रिशला रानीको भी दिखलाई दिये थे। ___ इस वृत्तान्तको कल्पसूत्रके १० वें पृष्ठपर यों लिखा गया है
• जे भगवंत ब्रामगकुंड नामना नगरमां कोडाल गोत्री एवा ऋषमदत्त ब्राह्मणनी स्त्री देवानंदा ब्राह्मणी के जे जालंधर गोत्री छे तेनी कुक्षिमा गर्भपणा थी उत्पन्न थया हता। ते क्यारे उत्पन्न थया हता के, पूर्वरात्र अने अपररात्रना समयमा अर्थात् मध्यरात्रे उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र चन्द्रना योगने प्राप्त थतां, दिव्य पाहार, दिव्यभव अने दिव्य शरीरनो त्याग करवाथी ज्यारे भगवंत गर्भमां उत्पन्न थया त्यारे ते त्रण ज्ञान थी युक्त हता।............जे रात्रे श्रमण भगवंत श्री महावीर प्रभु देवानंदा ब्राह्मणीनी कुक्षिमा उत्पन्न थया ते रात्रिए............चौद महास्वप्नोने जोइ ते देवानंदा ब्राह्मणी जागी गया । "
यानी - भगवान महावीर ब्राम्हणकुंड नगरमें कोडाल गोत्रवाळे
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