Book Title: Shwetambar Mat Samiksha
Author(s): Ajitkumar Shastri
Publisher: Bansidhar Pandit

View full book text
Previous | Next

Page 268
________________ ( २६.) वर्ष पहले ) कलिंग देशका अधिपति राजा खारवेल मपरनाम भिक्षुराज तथा महा मेघवाहन बहुत शुरवीर, धर्मवीर, दानवीर प्रतापी राजा हुआ है। इसने मगध देशपर चढाई करके युद्धद्वारा विजय प्राप्त की थी । यह जैन धर्मका अनुयायी था । इसने राजगृह नगरमें भगवान् ऋषभदेवकी प्रतिमाकी प्रतिष्ठा कराई थी। इस राजा खारवेलके समयमें भी दिगम्बर जैन मतका मस्तित्व था जो कि खडगिरि उदयगिरिकी गुफाओंमें अंकित तथा विराजित नम जैन प्रतिमाओंसे सिद्ध होता है। ये गुफाएं राजा खारवेलके समयमें तथा बहुत सी गुफाएं उससे भी पहले समयकी बनी हुई हैं। इन गुफाओंमें दिगम्बर जैन मुनियोंका निधास होता था ऐसा वहांके शिलालेखों व अंकित मूर्तियोंसे सिद्ध होता है। इन ही गुफाओंमें से एक हाथी गुफा है । उसमें राजा खारवेलका शिलालेख है जो कि प्राकृत भाषामें १७ पंक्तियोंमें खुदा हुआ है। वह इस प्रकार है १-नमो अरहन्तान नमो सवसिधानं वेरेन महाराजेन महामेघवाहनेन चेतराजवसमधेन पसथ सुभलखने (न) चतुरन्तलठानगुनोपगतेन कलिङ्गाधिपतिना सिरिखारवेलेन____ अर्थातः-- अर्हन्तोंको नमस्कार, सर्वसिध्दोंको नमस्कार । वीर महाराज महामेघवाहन, चैत्रराजवंशवर्द्धन, प्रशस्त ( शुभ ) लक्षणवाले कलिङ्गदेशके अधिपति श्री खारवेलने २-पन्दरसवसानि सिरि कुमारसरीरवता कीडिताकुमारकी. डका ततो लेखरूपगणनाववहारविधिविसारदेन सवविजावदातेन नब. वसानि योवराज पसासितं संपुणचतुविसतिवसो च दानवधमेन सेसयोवनाभिविजयवत्तिये ___ अर्थातः- पंद्रह वर्ष कुमार शरीरमें कुमारकीडामें निताए फिर लेखनविद्या, गणितविद्या तथा अन्य व्यवहार विद्या में विशारद ( कुशल ) होकर एवं ( युवराजके योग्य ) समस्त विद्याओंमें कौशल प्राप्त करके नौ वर्ष तक युवराज पदपर रहा । पूर्ण चौवीस वर्षके हो जानेपर दान धर्मवाला (खारबेल) यौवनके विजय, वृत्तिके लिये (राज्यशासनकेलिये) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288