Book Title: Shwetambar Mat Samiksha
Author(s): Ajitkumar Shastri
Publisher: Bansidhar Pandit

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Page 281
________________ ( २७३ में जहां जैन धर्म अब भी फैला हुआ है जो जैनसूफी यूनानियोंको मिले थे वे जैन थे; न तो वे ब्राह्मण थे और न बौद्ध । तथा तक्षशिलाके पास सिकन्दरको इनही दिगम्बरियोंका एक संघ मिला था जिन दिग रियों में से एक कालानस नामधारी फारस देशतक सिकन्दर के साथ " गया था । डाक्टर सतीशचन्द्र विद्याभूषण एम. ए. प्रिंसिपल संस्कृत कालेज कलकता लिखते हैं कि " जैनधर्म बौद्धधर्म से प्राचीन है । निर्ग्रन्थों तथा नाथपुत्रका वर्णन बौद्धोंके सबसे प्राचीन पालीग्रंथ त्रिपिटक में भाया है जो सन ईसवी से ५०० वर्ष पहलेका है 1 सन इसबी के १०० वर्ष पहले एक संस्कृतमें ग्रंथ महायान नामका बना है उसमें खास दिगम्बर शब्द भी भाया है । " इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिया जिल्द २५ ग्यारहवीं बार ( सन १९११ में ) प्रकाशित उसमें इस प्रकार उल्लेख है जैनियों में दो बडे भेद हैं एक दिगम्बर दूसरा श्वेताम्बर । श्वेताम्बर थोडे कालसे शायद बहुत करके ईसाकी ५ वीं शताब्दी से प्रगट हुआ है । दिगम्बर निश्वयसे लगभग बेडी निर्ग्रन्थ हैं जिनका वर्णन बौद्धों की पाली पिटकोंमं ( पिटकत्रय ग्रंथमें ) आया है। इसकारण ये लोग ( दिगम्बर ) ईसामे ६०० वर्ष पहले के तो होने ही चाहिये । 66 ...... Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat उल्लेख है ( शिलालेख मानने वालों में नग्न जिससे शब्द 'दिग राजा अशोक के स्तम्भों में भी निग्रंथों का नं. २० ) श्री महावीरजी और उनके प्राचीन भ्रमण करनेकी एक बहुत बाहरी विशेषता थी म्बर ' है । इस क्रियाके ( नग्न भ्रमण करनेके ) विरुद्ध गौतम बुद्धने अपने शिष्योंको खास तौर से चिताया था 1 तथा प्रसिद्ध युनानी शब्द जैनसुफी में इसका ( दिगम्बर का ) वर्णन है । मेगस्थनीज ने ( जो राजा चन्द्रगुप्तके समय सन ईसवी से ३२० वर्ष पहले भारत ३५ www.umaragyanbhandar.com

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