Book Title: Shwetambar Mat Samiksha
Author(s): Ajitkumar Shastri
Publisher: Bansidhar Pandit

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Page 287
________________ । २७९ । १०-मुक्ति प्राप्त करनेके लिये परिग्रहका पूर्ण रूपसे त्याग करना अनिवार्य है । गृहस्थ परिग्रहका पूर्णरूपसे त्याग कर नहीं सकता इस कारण गृहस्थाश्रमसे मनुष्यको मुक्ति प्राप्त होना असंभव है । ११-तीन माससे भी आठ दिन कम का कच्चा शरीर पिण्ड एक माताके गर्भाशयसे निकाल कर अन्य माताके उदरमें रख देना असंभव है क्योंकि ऐसा करनेसे नामितन्तु टूट जाते हैं और गर्भस्थ जीवकी मत्यु हो जाती है। इस कारण महावीर स्वामीके गर्भको देवानंदा ब्राह्मणीके उदरसे निकालकर त्रिशलादेवीके गर्भाशयमें पहुंचानेकी और वहांपर वृद्धि होनेकी बात सर्वथा असत्य १२-श्वेताम्बरीय शास्त्रों में अछेरे बताये गये हैं जिनका कि वास्तविक अर्थ आश्चर्य कारक बातें होता है। उन मछेरोमैसे १--केवली भगवानपर उपसर्ग २--ब्यासी दिनके गर्भका अपहरण, ३.-त्री तीर्थकर, १--सूर्य चन्द्रका अपने विमानों सहित उतर कर मध्यलोकमें माना, ५--हरिवंशकी उत्पत्ति और ६-चमरेन्द्रका उत्पात ये अछेरे प्रकृतिविरुद्ध, जैन सिद्धान्त विरुद्ध, असंभवित कल्पनाओंके रूपमें हैं इस कारण सर्वथा असत्य हैं । LA समाप्त | BASE Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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