Book Title: Shwetambar Mat Samiksha
Author(s): Ajitkumar Shastri
Publisher: Bansidhar Pandit

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Page 269
________________ । २६१। ३-कलिंगराजवंसपुरिसयुगे महाराजाभिसेचनं पापुनाति मिसि. तमतो च पधमवसे वातविहितगोपुरपाकारनिवेसनं पटिसंखारयति कलिंग नगरि खिवीर च सितल तडाग पाडियो च बधापयति सवुयान पतिसंठापनं च कारयति । पनतीसाहिं सतसहसेहि पकातिये रजयति । यानी-कलिङ्गदेशके राजवंशके पुरुषयुगमें राज्याभिषेकसे पवित्र हुमा । राज्याभिषेक के पीछे पहले वर्षमें तूफानसे टूटे हुए नगरद्वार कोट तथा महल की मरम्मत कराई । कलिंग नगरकी छावनी, शीतल तालाबके किनारे ( घाट ) बनवाए तथा पैंतीस लाखसे ( राजमुद्राओंसे-सिकोंसे ) बाग बनवाए । ( इस प्रकार ) प्रजाको प्रसन्न किया । ४- दितिये च वसे अभितमिता सातकणि पछिमदिसं हयगजनररधबहुलं दंड पठापयति कुसंबानं खतियं च सहायवता पत्तं मसिकनगरं । मर्थात्-दूसरे वर्ष रक्षा करनेके लिये शतकर्णीके पास हाथी, घोरे, मनुष्य, रोंसे भरी हुई सेना पश्चिम दिशाको भेजी तथा कौसाम्बीके समीप ( प्रयागके पास ) क्षत्रियों की सहायतासे मासिक नगरको प्राप्त किया। ५-ततिये च पुन बसे गन्धववेदबुधो दंपनतगीतवादित सदसनाहि उसवसमाजकारापनाहि च कीडापयति नगरी । इथ चवुथे वसे विजाधराधिवास अहतं पुर्व कलिङ्गपुबराजनमसितं.... धमकूटस.......(पू) जित च निखितछत___अर्थात्-तीसरे वर्ष गंधर्वविद्या ( गानविद्या ) में प्रवीण (सारवेल) राजाने गीत नृत्य वादित्र आदि द्वारा बहुत उत्सव कराकर नगरमें क्रीडा कराई। चौथे वर्ष विद्याधरोंसे सेवित तथा कलिंगके पूर्व राजपुरुषोंसे बंदनीक धर्मकूटकी पूजा की । तथा चढाये हुए छत्र ६-भिंगारेहि तिरतनसपतयो सबरठिकभो जकेसादेवे दसयपति। पंचमे च दानिवसे नदराजतिवससतं ओघाटितं तनसली Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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